वाराणसी: गंगा घाटों पर डूबने से होने वाली मौतों को रोकने की पहल, अमन कबीर ने उठाई बैरेकेटिंग और पोस्टर की मांग

 

 वाराणसी। काशी के पवित्र गंगा घाटों पर स्नान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं और डूबने से होने वाली मौतों को रोकने के लिए एक नई पहल सामने आई है। अमन कबीर सेवा न्यास के संस्थापक और समाजसेवी अमन कबीर ने वाराणसी के जिलाधिकारी से मुलाकात कर गंगा घाटों पर बैरेकेटिंग और जागरूकता पोस्टर लगाने की मांग की है। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय युवाओं और धार्मिक यात्रियों की जान बचाना है, जो अक्सर गहरे पानी में स्नान करने के कारण असमय काल के गाल में समा जाते हैं।

घाटों पर बढ़ती दुर्घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
पिछले कुछ महीनों में पंचगंगा घाट, ललिता घाट, तुलसी घाट, त्रिलोचन घाट, शिवाला घाट, अहिल्या बाई घाट, सिंधिया घाट, बालाजी घाट सहित कई अन्य घाटों पर डूबने की घटनाएं सामने आई हैं। समाचार पत्रों और स्थानीय स्रोतों के अनुसार, इन घटनाओं में कई स्थानीय युवा और काशी की धार्मिक यात्रा पर आए श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। इन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण घाटों पर गहराई का आकलन न होना और उचित सुरक्षा उपायों का अभाव बताया जा रहा है। 

अमन कबीर की अपील: बैरेकेटिंग और पोस्टर से आएगी जागरूकता  
सोमवार को वाराणसी के जिलाधिकारी से मुलाकात के दौरान अमन कबीर ने एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने घाटों पर बैरेकेटिंग और चेतावनी पोस्टर लगाने की मांग की। उन्होंने कहा, "गंगा स्नान काशी की संस्कृति और आस्था का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन असुरक्षित स्नान के कारण हर साल कई परिवार अपने प्रियजनों को खो रहे हैं। यदि प्रमुख स्थानों पर बैरेकेटिंग और गहराई से सावधान करने वाले पोस्टर लगाए जाएं, तो लोग सतर्क रहेंगे और ऐसी दुखद घटनाएं कम होंगी।"

अमन कबीर ने न केवल जिला प्रशासन, बल्कि काशी के सभी नागरिकों और उन परिवारों से भी अपील की है, जिन्होंने अपने परिजनों को इन हादसों में खोया है। उन्होंने कहा, "यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपनी काशी को सुरक्षित बनाएं। यह पहल न केवल स्थानीय युवाओं की रक्षा करेगी, बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुरक्षा प्रदान करेगी।"

जिलाधिकारी ने की सराहना, कार्रवाई का आश्वासन  
जिलाधिकारी ने अमन कबीर के सेवा भाव और इस संवेदनशील मुद्दे को उठाने की प्रशंसा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मांग पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और घाटों पर सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए संबंधित विभागों के साथ चर्चा की जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा, "गंगा घाटों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हम इस प्रस्ताव पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की दिशा में काम करेंगे।"

स्थानीय लोगों का समर्थन, उम्मीद जगी
अमन कबीर की इस पहल को स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। दशाश्वमेध घाट के पास रहने वाले रमेश चंद्र ने कहा, "हर साल हम ऐसी दुखद खबरें सुनते हैं। अगर घाटों पर बैरेकेटिंग और चेतावनी बोर्ड लग जाएं, तो निश्चित रूप से हादसे कम होंगे।" वहीं, एक स्थानीय नाविक ने बताया कि कई बार स्नान करने वाले लोग गहराई का अंदाजा नहीं लगा पाते, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

गंगा घाटों की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत
काशी के घाट न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। अमन कबीर सेवा न्यास की यह पहल न केवल जिला प्रशासन, बल्कि गंगा सेवा समितियों, स्थानीय नाविकों और नागरिकों को भी एकजुट होने का अवसर दे रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैरेकेटिंग के साथ-साथ जल पुलिस और एनडीआरएफ की तैनाती को भी बढ़ाने की जरूरत है, ताकि आपात स्थिति में त्वरित बचाव कार्य हो सके।

*आगे की राह*  
अमन कबीर ने बताया कि उनकी संस्था इस मुद्दे को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाएगी। वे घाटों पर स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्नान के लिए जागरूक करने के साथ-साथ प्रशासन के साथ मिलकर इस प्रस्ताव को लागू कराने के लिए प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि काशी के घाट आस्था के साथ-साथ सुरक्षा का भी प्रतीक बनें।"

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