वाराणसी : अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन, राष्ट्रपति को संबोधित पत्रक सौंपा, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं पर हो रहे हमलों और उत्पीड़न के खिलाफ शुक्रवार को वाराणसी के वकीलों ने डीएम कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को जल्द लागू कराने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम संबोधित पत्रक जिलाधिकारी को सौंपा। इस दौरान सरकार पर अधिवक्ताओं की उपेक्षा और अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए जल्द से जल्द एक्ट लागू करने की मांग की। चेताया कि यदि सरकार ने उनकी मांग पर विचार नहीं किया तो लखनऊ में विधानसभा का घेराव करेंगे। 
 

वाराणसी। उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं पर हो रहे हमलों और उत्पीड़न के खिलाफ शुक्रवार को वाराणसी के वकीलों ने डीएम कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को जल्द लागू कराने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम संबोधित पत्रक जिलाधिकारी को सौंपा। इस दौरान सरकार पर अधिवक्ताओं की उपेक्षा और अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए जल्द से जल्द एक्ट लागू करने की मांग की। चेताया कि यदि सरकार ने उनकी मांग पर विचार नहीं किया तो लखनऊ में विधानसभा का घेराव करेंगे। 

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश और देश भर में अधिवक्ताओं के साथ हो रहे अत्याचार, हिंसा और हत्याओं की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बावजूद इसके सरकार अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। अधिवक्ताओं को न तो क्षतिपूर्ति मिल रही है, न ही पर्याप्त सुरक्षा। उन्होंने मांग की कि सरकार तुरंत एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करे।

उन्होंने बताया कि अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए समाजवादी सरकार द्वारा जो योजनाएं शुरू की गई थीं, वे अभी भी चल रही हैं, लेकिन वर्तमान सरकार न तो उन योजनाओं को विस्तार दे रही है और न ही नए कदम उठा रही है। अधिवक्ताओं के कल्याण निधि में चार अरब रुपये से अधिक की राशि जमा है, बावजूद इसके न युवाओं को भत्ता दिया जा रहा है और न वृद्ध अधिवक्ताओं को पेंशन की सुविधा मिल रही है।

श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि वाराणसी से उठी यह आवाज जल्द ही पूरे प्रदेश में गूंजेगी। अधिवक्ताओं को जगाने के लिए हर जिले में जाकर आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद पूर्वांचल अधिवक्ता सम्मेलन और अंत में विधानसभा का घेराव करेंगे। अधिवक्ता आलोक सौरभ ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार अधिवक्ताओं के हित में कोई निर्णय नहीं ले रही है। मेडिकल क्लेम बीमा तक स्वीकृत नहीं किया गया है। अधिवक्ताओं के करोड़ों रुपये सरकार के खजाने में जमा हैं। इसके बावजूद सरकार कभी उनके हितों की बात नहीं करती है।