वाराणसी के निजी स्कूलों में सीबीएसई मानकों की हो रही अनदेखी, सामाजिक कार्यकर्ता ने की जांच की मांग
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वाराणसी शहर में स्थित ओ ग्रो चिल्ड्रेन एकेडमी (कमच्छा), इंपीरियल पब्लिक स्कूल (भदैनी, अस्सी), वनिता पब्लिक स्कूल (लहुराबीर), आर्यन पब्लिक स्कूल (आखरी बाईपास) और डब्ल्यू. एच. स्मिथ स्कूल (सिगरा) सहित कई अन्य सीबीएसई से संबद्ध प्राइवेट स्कूल सीबीएसई गाइडलाइन्स के क्लॉज 4.1 के तहत निर्धारित बुनियादी शैक्षिक मानकों को ताक पर रखकर संचालन कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, कक्षाओं का आकार 8 मीटर × 6 मीटर (करीब 500 स्क्वायर फीट) होना चाहिए, लेकिन इन स्कूलों में यह मानक अक्सर पूरी तरह उपेक्षित रहता है।
विशेष सुविधाओं की भी हो रही घोर अनदेखी
सीबीएसई की गाइडलाइन के अनुसार विज्ञान प्रयोगशाला, गणित प्रयोगशाला, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय और विशेष रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना अनिवार्य है। अभिषेक के अनुसार, इन स्कूलों में इन बुनियादी जरूरतों की भी भारी कमी है, जिससे छात्रों की शिक्षा और समावेशन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
फीस वसूली में मनमानी और कमीशनखोरी का आरोप
श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि ये निजी स्कूल हर साल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं, जो सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश शुल्क अधिनियम का उल्लंघन है। इसके अतिरिक्त, अभिभावकों पर दबाव बनाया जाता है कि वे किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य पाठ्य सामग्री केवल स्कूल द्वारा निर्दिष्ट दुकानों से ही खरीदें। यह भी आरोप लगाया गया है कि स्कूल और दुकानदारों के बीच कमीशन आधारित सांठगांठ है, जिससे शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार गहराता जा रहा है।
गरीबों और वंचितों के लिए शिक्षा बन रही असंभव
आरोप है कि अत्यधिक फीस और अतिरिक्त आर्थिक दबाव के चलते गरीब, पिछड़े और वंचित वर्ग के अभिभावकों के लिए बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना एक चुनौती बन गया है। श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि कई स्कूल ‘राइट टू एजुकेशन’ कानून के तहत चयनित बच्चों से भी अलग से शुल्क वसूल रहे हैं और यदि अभिभावक विरोध करें तो बच्चों को स्कूल से निकालने या उनका नाम काटने की धमकी दी जाती है।
ताजा मामला इंपीरियल स्कूल से जुड़ा
श्रीवास्तव ने कहा कि ताजा उदाहरण इंपीरियल पब्लिक स्कूल, अस्सी-भदैनी का है, जहां कथित रूप से एक अभिभावक से 'राइट टू एजुकेशन' के अंतर्गत चयन के बावजूद अतिरिक्त पैसों की मांग की गई। जब अभिभावक ने विरोध किया तो स्कूल प्रबंधन ने बच्चे के प्रवेश पर रोक लगा दिया।
प्रशासन से की कार्रवाई की मांग
अभिषेक कुमार श्रीवास्तव ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की है कि उपरोक्त स्कूलों की संपूर्ण जांच कराई जाए। यदि जांच में अनियमितता साबित होती है तो सख्त कार्रवाई की जाए ताकि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगे और समाज के सभी वर्गों को समान रूप से शिक्षा का अधिकार मिल सके।
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