बौद्धिक सम्पदा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने किया नया रिकॉर्ड कायम 

उत्तर प्रदेश ने बौद्धिक सम्पदा के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। जीआई उत्पाद एक दशक में ही दो से 75 की संख्या में पहुंच गया है। प्रदेश के 75 जीआई उत्पादों में से सिर्फ काशी और पूर्वांचल के ही अकेले 34 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इस कड़ी में अब काशी की तिरंगी बर्फी और विश्व प्रसिद्ध बनारस ढलुआ मूर्ति भी शामिल हो चुका है। उत्तर प्रदेश के दो नए जीआई पंजीकृत होने की उपलब्धि मंगलवार को नवरात्रि की अष्टमी को मिली है। 
 

एक दशक में ही दो से 75 की संख्या में पहुँचा जीआई उत्पाद

प्रदेश के 75 जीआई उत्पादों में से सिर्फ काशी और पूर्वांचल के ही 34 उत्पाद

तिरंगी बर्फी और विश्व प्रसिद्ध बनारस ढलुआ मूर्ति भी शामिल हुआ जीआई उत्पाद में 

उत्तर प्रदेश में 58 हस्तशिल्प उत्पादों एवं 17 कृषि व खाद्य उत्पादों को मिल चुका है जीआई पंजीकरण 

वाराणसी, 16 अप्रैल: उत्तर प्रदेश ने बौद्धिक सम्पदा के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। जीआई उत्पाद एक दशक में ही दो से 75 की संख्या में पहुंच गया है। प्रदेश के 75 जीआई उत्पादों में से सिर्फ काशी और पूर्वांचल के ही अकेले 34 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इस कड़ी में अब काशी की तिरंगी बर्फी और विश्व प्रसिद्ध बनारस ढलुआ मूर्ति भी शामिल हो चुका है। उत्तर प्रदेश के दो नए जीआई पंजीकृत होने की उपलब्धि मंगलवार को नवरात्रि की अष्टमी को मिली है। 

धर्म,अध्यात्म, संस्कृति और विरासत की थाती को भारत हमेशा से संजो कर रखता रहा है। जो काम कई दशकों में नहीं हो सका, वह उपलब्धि उत्तर प्रदेश को एक दशक में ही मिली गई है। इस पर उत्तर प्रदेश को अपनी मिट्टी और हस्तशिल्पियों पर गर्व है। जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ रजनीकांत ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते थे कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लोकल से ग्लोबल बनाने के साथ ही इसे बौद्धिक सम्पदा में शामिल किया जाए। मंगलवार को डॉ० रजनीकान्त ने बताया कि आज वाराणसी क्षेत्र से 2 जीआई उत्पाद पंजीकृत हुए हैं। इसमें आजादी की क्रांति में शुमार काशी के पक्के महाल से निकली "बनारस तिरंगी बर्फी" और काशीपुरा की गलियों में सैकड़ों साल से तैयार की जाने वाली " बनारस धातु ढलाई शिल्प (मेटल कास्टिंग क्राफ्ट) " सहित "बरेली जरदोजी, बरेली केन-बम्बू क्राफ्ट,थारू इम्ब्रायडरी - उ०प्र०, और पिलखुआ हैण्ड ब्लाक प्रिन्ट टेक्सटाइल' शामिल है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश में 75 जीआई टैग हो गया है। इसके साथ ही अब काशी क्षेत्र एवं पूर्वांचल के जनपदों में कुल 34 जीआई उत्पाद देश की बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शुमार हो गए, जो दुनिया के किसी भूभाग में नहीं है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में 58 हस्तशिल्प उत्पादों एवं 17 कृषि एवं खाद्य उत्पादों को जीआई पंजीकरण मिल चुका है।


पद्मश्री जीआई विशेषज्ञ डॉ० रजनीकांत ने बताया कि यह पूरे प्रदेश के लिए अत्यंत गौरव का पल है। नाबार्ड - लखनऊ, एवं राज्य सरकार के प्रयास से 16 अप्रैल, 2024 को जारी हुए जीआई रजिस्ट्री चेन्नई के वेबसाइट पर जीआई एप्लीकेशन स्टेटस से रजिस्टर्ड होने की जानकारी होते ही काशी समेत उत्तर प्रदेश के जीआई उत्पादक समुदाय, विक्रेताओं में हर्ष की लहर दौड़ गयी।  

क्या है तिरंगी बर्फी व बनारस ढलुआ मूर्ति
प्राचीन समय में तिरंगी बर्फी में केसरिया रंग के लिए केसर, हरे रंग के लिए पिस्ता और बीच के सफेद रंग में खोआ की सफेदी एवं काजू का प्रयोग किया जाता रहा है। आज भी पक्का महाल की गलियों की तिरंगी बर्फी बड़े चाव से खाई जाती है। आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों की खुफिया बैठकों एवं गुप्त सूचनाओं के लिए इसका इजाद हुआ, जो आगे चलकर स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्य धारा में अलख जगाने लगा। बनारस ढलुआ शिल्प में ठोस छोटी मूर्तियां जिसमें मां अन्नपूर्णा, लक्ष्मी-गणेश, दुर्गा जी, हनुमान जी, विभिन्न प्रकार के यंत्र, नक़्क़ाशीदार घण्टी–घण्टा, सिंहासन, आचमनी पंचपात्र एवं सिक्कों की ढलाई वाले सील ज्यादे मशहूर रहे हैं।