बीएचयू में पीएचडी प्रवेश पर यूजीसी की रोक, जांच के लिए विशेष समिति गठित
वाराणसी। बीएचयू में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। यूजीसी ने पीएचडी प्रवेश से जुड़ी विसंगतियों और यूजीसी रेगुलेशन 2022 के अनुपालन की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की है। जांच पूरी होने तक पीएचडी की कुल 466 सीटें खाली रहेंगी।
यूजीसी सचिव मनीष आर. जोशी द्वारा सोमवार को जारी पत्र में बताया गया कि बीएचयू से पीएचडी प्रवेश से जुड़ी कई अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। यूजीसी ने पहले ही स्पष्ट किया था कि पीएचडी प्रवेश और डिग्री प्रदान करने की प्रक्रिया को उसके 2022 के नवीनतम रेगुलेशन के अनुसार ही संचालित किया जाना चाहिए।
इस बीच, पीएचडी में प्रवेश की मांग को लेकर बीएचयू कैंपस में छात्र आंदोलन तेज हो गया है। एक छात्र बीते 11 दिनों से कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठा है, वहीं सोमवार को कई छात्रों ने सेंट्रल ऑफिस की ऊपरी मंजिल पर चढ़कर प्रदर्शन किया। नाराज छात्रों ने कुलपति और रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताते हुए जोरदार नारेबाजी की।
पीएचडी प्रवेश को लेकर बीएचयू में बीते चार महीनों से 10 से अधिक धरने हो चुके हैं। परीक्षा नियंत्रक कार्यालय द्वारा स्क्रीनिंग के बाद इंटरव्यू तिथियों की घोषणा की गई थी, जिसके बाद से विरोध और तेज हो गया। जब कुछ विभागों ने चयनित अभ्यर्थियों को फीस जमा करने की लिंक भेजनी शुरू की, तो छात्रों में असंतोष और भी बढ़ गया।
सबसे पहले पल्लव सिंह (सब लैटर्न स्टडी), शिवम सिंह (मालवीय पीस रिसर्च), अर्चिता सिंह और भास्करादित्य त्रिपाठी (हिंदी विभाग), कुणाल गुप्ता और करन जायसवाल (प्राचीन इतिहास) जैसे अभ्यर्थियों ने धरना देकर प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे।
सूत्रों के अनुसार, कार्यवाहक कुलपति और रजिस्ट्रार को इस मामले में दोबारा दिल्ली तलब किया गया है। यूजीसी की जांच टीम इस माह बीएचयू में पीएचडी प्रवेश को लेकर हुए पांच बड़े धरनों और विभागीय गतिविधियों को भी केंद्र में रखकर समीक्षा करेगी।