पहड़िया मंडी में अवैध दुकान हटाने के विरोध में व्यापारी लामबंद, किया विरोध प्रदर्शन, भूख हड़ताल की दी चेतावनी

पहड़िया मंडी में गेट-2 के पास अवैध घोषित की गई दुकानों को हटाने की कार्रवाई के विरोध में गुरुवार को व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान मंडी परिषद और प्रशासन द्वारा कई दशकों से दुकान चलाने वाले व्यापारियों को अचानक अवैध बताकर हटाने की कार्रवाई पर आक्रोश व्यक्त किया। इसे अन्यायपूर्ण व उनकी रोज़ी-रोटी पर सीधा प्रहार बताया। व्यापारियों ने 1982 की रूलिंग को फिर से लागू करने की मांग की। चेताया कि यदि मांग पर विचार नहीं किया गया तो भूख हड़ताल करेंगे।
 

वाराणसी। पहड़िया मंडी में गेट-2 के पास अवैध घोषित की गई दुकानों को हटाने की कार्रवाई के विरोध में गुरुवार को व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान मंडी परिषद और प्रशासन द्वारा कई दशकों से दुकान चलाने वाले व्यापारियों को अचानक अवैध बताकर हटाने की कार्रवाई पर आक्रोश व्यक्त किया। इसे अन्यायपूर्ण व उनकी रोज़ी-रोटी पर सीधा प्रहार बताया। व्यापारियों ने 1982 की रूलिंग को फिर से लागू करने की मांग की। चेताया कि यदि मांग पर विचार नहीं किया गया तो भूख हड़ताल करेंगे। 

कुछ दिन पहले मंडी परिषद की ओर से एक टीम गेट-2 के पास पहुंची। वहां बनी दुकानों को अवैध बताते हुए हटाने की कार्रवाई शुरू की, लेकिन व्यापारियों के विरोध के चलते टीम को लौटना पड़ा था। इसके बावजूद प्रशासन ने दुकानों पर ताले तोड़कर सामान जब्त कर लिया, जिससे व्यापारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है।

मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ये दुकानें 20-22 वर्षों से वहां पर संचालित हैं। कुछ व्यापारी 2004 से वहीं व्यवसाय कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने वर्षों में कितने अफसर आए और गए, लेकिन किसी ने इन दुकानों को लेकर आपत्ति नहीं जताई। अब अचानक इन्हें अवैध करार देकर तोड़ा जाना न केवल अमानवीय है, बल्कि प्रशासन की विफलता भी दर्शाता है।

व्यापारियों ने 1982 की उस रूलिंग का हवाला दिया जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि जिन व्यापारियों के पास अपनी जगह नहीं है, वे मंडी परिषद की अनुमति से दुकान बनाकर कार्य कर सकते हैं। इसी नीति के तहत सब्जी मंडी के व्यापारियों ने दुकानें बनाई थीं। अब प्रशासन खुद अपने नियमों से पीछे हट रहा है।

व्यापारियों की प्रमुख मांग है कि 1982 की रूलिंग को फिर से लागू किया जाए, और जिन दुकानदारों ने लंबे समय से यहां व्यापार किया है, उन्हें यथास्थिति में बनाए रखा जाए। यदि आवश्यक हो, तो प्रशासन सुविधा शुल्क लेकर लाइसेंस जारी करे और दुकानों को वैध घोषित किया जाए। व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे धरने से आगे बढ़कर आमरण अनशन और भूख हड़ताल पर भी उतरेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मंडी की व्यवस्था से सरकार को जो राजस्व प्राप्त होता है, वह तभी संभव है जब व्यापारी व किसान सहज रूप से व्यापार कर सकें। यदि यह अव्यवस्था और उत्पीड़न जारी रहा, तो मंडी के राजस्व स्रोत ही ठप हो सकते हैं।