नए साल का जश्न मनाने काशी पहुंचने लगे सैलानी, घाटों से लेकर होटलों तक भीड़

नववर्ष के स्वागत से ठीक पहले काशी में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है। देश के कोने-कोने और विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव की नगरी वाराणसी पहुंच रहे हैं। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास में कोई कमी नहीं आई है। वर्ष के अंतिम दिनों में बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर नए साल की शुरुआत करने की कामना के साथ लोग काशी का रुख कर रहे हैं, जिससे पूरा शहर धार्मिक उत्सव और उल्लास के रंग में रंगा नजर आ रहा है। इस समय घाटों से लेकर होटलों तक भीड़ का आलम है।  
 

वाराणसी। नववर्ष के स्वागत से ठीक पहले काशी में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है। देश के कोने-कोने और विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव की नगरी वाराणसी पहुंच रहे हैं। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास में कोई कमी नहीं आई है। वर्ष के अंतिम दिनों में बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर नए साल की शुरुआत करने की कामना के साथ लोग काशी का रुख कर रहे हैं, जिससे पूरा शहर धार्मिक उत्सव और उल्लास के रंग में रंगा नजर आ रहा है। इस समय घाटों से लेकर होटलों तक भीड़ का आलम है।  

श्रद्धालुओं और सैलानियों की बढ़ती संख्या का सीधा असर शहर की होटल इंडस्ट्री पर दिखाई दे रहा है। नववर्ष नजदीक आते ही शहर के अधिकांश होटल, गेस्ट हाउस और लॉज पूरी तरह बुक हो चुके हैं। कई प्रमुख इलाकों में तो कमरे मिलना बेहद मुश्किल हो गया है। होटल व्यवसायियों का कहना है कि इस बार भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है। ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ऑफलाइन माध्यमों से भी लोग ठहरने की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं। कई पर्यटक आसपास के इलाकों में भी होटल तलाशने को मजबूर हैं।

गंगा घाटों की रौनक भी इन दिनों देखते ही बन रही है। सुबह की आरती से लेकर शाम की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती तक घाटों पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती में शामिल होने के लिए हजारों लोग घंटों पहले से घाटों पर पहुंच जाते हैं। अस्सी घाट, केदार घाट, मणिकर्णिका घाट समेत अन्य प्रमुख घाटों पर भी स्नान, पूजा-पाठ और ध्यान में लीन श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। पर्यटक अपने कैमरों और मोबाइल फोन से गंगा की लहरों, घाटों की भव्यता और काशी की सांस्कृतिक छटा को सहेजते नजर आ रहे हैं।

धार्मिक स्थलों की बात करें तो काशी विश्वनाथ मंदिर, संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड, बाबा काल भैरव मंदिर सहित शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी हुई हैं। श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ने के कारण श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में विशेष व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। मंदिर प्रशासन ने आगामी तीन जनवरी तक बाबा के स्पर्श दर्शन पर रोक लगा दी है और इस अवधि में श्रद्धालुओं को केवल झांकी दर्शन ही कराए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य भीड़ को नियंत्रित करना और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

मंदिर प्रशासन ने महाकुंभ और सावन मास की तर्ज पर भीड़ प्रबंधन के विशेष इंतजाम किए हैं। धाम परिसर और आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि तीन जनवरी के बाद श्रद्धालुओं की संख्या और स्थिति की समीक्षा की जाएगी, उसके बाद ही स्पर्श दर्शन को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा। वहीं मंदिर विशिष्ट क्षेत्र के उपजिलाधिकारी शंभूशरण ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि अत्यधिक भीड़ और ठंड को देखते हुए बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों और छोटे बच्चों को फिलहाल दर्शन यात्रा से परहेज करना चाहिए।

शहर में बढ़ती भीड़ के मद्देनजर यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। भीड़ और जाम की स्थिति से बचने के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय क्षेत्र से गैर जनपदों के नंबर वाले चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। केवल एंबुलेंस, आपातकालीन सेवाओं और दुपहिया वाहनों को ही अनुमति दी जा रही है। इससे मंदिर और घाट क्षेत्रों में यातायात सुचारु बनाए रखने में मदद मिल रही है।

नववर्ष पर मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के चरण स्पर्श पर भी रोक लगाई गई है, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त कदम भी उठाए जा रहे हैं।

सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करते हुए घाटों और प्रमुख धार्मिक स्थलों पर पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गई है। संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है और लगातार चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा टीमों की भी तैनाती की गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत इलाज उपलब्ध कराया जा सके।

कुल मिलाकर, नववर्ष से पहले काशी में आस्था, संस्कृति और पर्यटन का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। गंगा घाटों की रौनक, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ और पूरे शहर में छाया उत्सव का माहौल वाराणसी को एक बार फिर विश्व पटल पर धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित कर रहा है।