मुख्यमंत्री से मिलने की तैयारी कर रहे आंदोलनरत बनारस के टोटो चालक, पढ़िए क्या है उनकी प्रमुख डिमांड
- आंदोलन कर रहे टोटो चालकों ने कहा, योगी जी चुटकियों में कर सकते हैं हमारी समस्याओं का समाधान
- कहा - जाम टोटो से नहीं, स्कूल बसों, ई-बसों और भारी वाहनों से हो रहा है, कितने ही मरीजों को टोटो वालों ने सही समय पर अस्पताल पहुंचाकर बचाई है जान
वाराणसी। शहर में जाम की समस्या को देखते हुए ई-रिक्शॉ पर लगाये गये कुछ प्रतिबंध को लेकर टोटो चालकों में रोष है। टोटो चालकों को अब विपक्षी दलों का भी साथ मिलने लगा है। वहीं वाराणसी में पिछले 12 दिन से आंदोलन कर रहे भारतीय रिक्शॉ चालक यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीन काशी ने बताया कि प्रशासन का निर्णय कहीं से भी टोटो चालकों और उनके परिजनों के हित में नहीं है।
उन्होंने बताया कि वाराणसी में 25 हजार से अधिक टोटो चालक हैं। इसके अलावा 10 हजार मैकेनिक और शोरूम के कर्मचारी हैं। यही नहीं इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के परिजनों की संख्या भी करीब पौने 2 लाख है। ऐसे में हमारे ऊपर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है। उन्होंने सवाल भी पूछा कि अधिकारी काशी को जाम मुक्त करना चाहते हैं या रोजगार मुक्त। उन्होंने कहा कि ई रिक्शा जाम का कारण नहीं है। ट्रैफिक व्यवस्था को सही से लागू न किया जाना बड़ा कारण है।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जोकि इस वक्त वाराणसी दौरे पर हैं, से अपील करते हुए कहा कि टोटो चालकों को मुख्यमंत्री जी से मिलने का 5 मिनट का समय दिया जाना चाहिए। प्रवीन काशी ने कहा कि हमें उनपर भरोसा है, उनके लिए हमारी समस्याओं का समाधान करना चुटकियों का काम है। उन्होंने कहा कि शहर में लहरतारा, चौकाघाट आदि ओवर ब्रिज के नीचे स्मार्ट सिटी की दुकानों की जगह टोटो स्टैंड बनाना चाहिए। इसके साथ ही नगर निगम के पार्क का जो छूटा हुआ पार्ट है वहां भी हमें पार्किंग की जगह दी जाए।
प्रवीन काशी ने यह भी कहा कि समाधान न निकलने की स्थिति में टोटो चालक न्याय के मंदिर में गुहार लगाने के लिए विवश होंगे। कहा कि टोटो चालकों पर आर्थिक तंगी की मार पड़ रही है। बच्चों के लिए दूध और स्कूल जाने का पैसा नहीं है। गैस सिलेंडर भरवाने का पैसा नहीं है। टोटो की किस्त तो बहुत दूर की बात है। उन्होंने अपील की कि ऐसा तरीका न अपनाया जाए, जिससे 25 हजार परिवार प्रभावित हो जाए।
वहीं आंदोलन कर रहे एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि जाम टोटो से नहीं, बल्कि स्कूल बसों, ई-बसों और भारी वाहनों से हो रहा है। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस सही समय और संकरे रास्तों पर नहीं पहुंचती, ऐसे में न जाने कितने ही मरीजों को कभी दीनदयाल अस्पताल तो कभी कबीरचौरा, बीएचयू और ट्रॉमा सेंटर तक टोटो वालों ने ही सही समय पहुंचाकर उनकी जान बचाई है।