घाटों पर खुलेआम घरेलू गैस सिलेंडर का इस्तेमाल, खाद्य विभाग और नगर निगम की अनदेखी खतरनाक, कभी भी हो सकती है अनहोनी

 

वाराणसी। अस्सी घाट और आसपास के अन्य घाटों पर घरेलू गैस सिलेंडरों का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इस गंभीर समस्या पर खाद्य विभाग, नगर निगम और जिला प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा। घाटों पर हर दिन लाखों की संख्या में लोग गंगा आरती देखने और घूमने के लिए आते हैं, जिनमें विदेशी सैलानी भी शामिल होते हैं। ऐसे में सुरक्षा की अनदेखी किसी बड़ी घटना को न्योता दे सकती है।

घातक खतरा बन सकते हैं सिलेंडर

घाटों पर ठेला-खोमचा लगाने वाले दुकानदार घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग कर मोमोज, मैगी और अन्य खाद्य पदार्थ तैयार कर रहे हैं। इन दुकानों पर न तो कोई सुरक्षा उपकरण मौजूद हैं और न ही दुकानदारों को आग बुझाने का कोई प्रशिक्षण दिया गया है। ऐसे में सिलेंडर में विस्फोट या आग लगने जैसी घटनाओं का खतरा बना रहता है। इससे भगदड़ मचने और लोगों के हताहत होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रशासन की उदासीनता

स्थानीय लोगों का कहना है कि खाद्य विभाग, नगर निगम और जिला प्रशासन की टीमें घाटों पर नियमित भ्रमण करती हैं, लेकिन सिलेंडरों के इस अवैध उपयोग पर कार्रवाई नहीं की जाती। जब भी नगर निगम की टीम मौके पर पहुंचती है, ठेले वाले भाग जाते हैं। प्रशासन की लापरवाही के चलते इन लोगों के हौसले बुलंद हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

गंदगी फैलाने में भी जिम्मेदार

घाटों पर ठेला-खोमचा लगाने वाले न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि घाटों पर गंदगी फैलाने के भी बड़े कारण बनते हैं। लोग बार-बार प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

बड़ी घटना का इंतजार?

लोगों का सवाल है कि यदि किसी दिन सिलेंडर में विस्फोट हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है? घाटों पर लगातार बढ़ रही सुरक्षा चिंताओं के बावजूद जिम्मेदार विभागों की अनदेखी चिंता का विषय है।