नाटी इमली के ऐतिहासिक मैदान में दूसरे दिन भी हुआ चारों भाइयों का मिलन, 527 वर्षों की परंपरा का साक्षी है मौनी बाबा आश्रम का भरत मिलाप

 

वाराणसी। ऐतिहासिक नाटी इमली मैदान में सोमवार शाम भरत मिलाप का दूसरा दिन श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण रहा। जैसे ही सूर्य अस्त हुआ, राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न का मिलन हुआ। इस अद्भुत दृश्य ने पूरे मैदान को जय श्रीराम और राजारामचंद्र की जयकारों से गूंजा दिया। मैदान में हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे, जिनमें पुरुष, महिलाएं, बच्चे और युवा शामिल थे। महिलाएं अपने छोटे बच्चों का हाथ पकड़कर इस पावन लीला को देखने पहुंची थीं। इस कार्यक्रम की सुरक्षा में पुलिस के जवान भी तैनात थे।

लीला की शुरुआत जतनबर स्थित अयोध्या भवन मौनी बाबा के शिवाला से हुई, जहां हनुमान ने भरत और शत्रुघ्न को श्रीराम के अयोध्या लौटने का संदेश दिया। संदेश मिलते ही भरत और शत्रुघ्न अपने दल-बल के साथ सायं 4:23 बजे नाटी इमली के मैदान पहुंचे। वहां पहुंचते ही भरत और शत्रुघ्न ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को साष्टांग प्रणाम किया, जिसके बाद श्रीराम और लक्ष्मण दौड़कर भरत और शत्रुघ्न को गले लगा लिया। इस अद्वितीय मिलन को देखकर मैदान में उपस्थित भक्तों की आंखें नम हो गईं।

527 वर्षों की परंपरा

इस भरत मिलाप का आयोजन मौनी बाबा रामलीला कमेटी द्वारा किया गया और इस वर्ष इसका 527वां संस्करण था। मौनी बाबा रामलीला कमेटी के अध्यक्ष और महंत श्रीराम शर्मा ने बताया कि इस लीला का आयोजन 527 वर्षों से लगातार हो रहा है, और इस परंपरा को बनाए रखना प्रभु श्रीराम की कृपा है। रामलीला के आयोजन में आई सभी बाधाओं के बावजूद, यह परंपरा आज भी जीवंत है।

प्रसाद के लिए उमड़ी भीड़

भरत मिलाप के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न पर अर्पित किए गए पुष्प और तुलसीदल को पाने के लिए भक्तों में विशेष रूप से महिलाओं में काफी होड़ मची रही। हर कोई इन पवित्र प्रसाद को प्राप्त कर खुद को धन्य मान रहा था।

यादव बंधुओं ने खींचा प्रभु का रथ

भरत मिलाप के बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता, और हनुमान के रथ को यादव बंधुओं ने अपने कंधों पर उठाकर नाटी इमली से नवापुरा, महामृत्युंजय महादेव होते हुए विशेश्वरगंज तक पहुंचाया।  16 अक्टूबर को राम राजगद्दी और 17 अक्टूबर को वानर विदाई के साथ रामलीला का समापन होगा।