सिग्नेचर ब्रिज निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू, मंडलायुक्त ने किया निरीक्षण, रेल अफसरों संग चुनौतियों पर च्रर्चा
वाराणसी। मंडलायुक्त एस राजलिंगम ने मालवीय पुल के समानांतर गंगा पर बनने वाले सिग्मेचर ब्रिज के प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान पुलिस निर्माण शुरू होने के बाद आने वाले चुनौतियों के बाबत रेल अधिकारियों संग चर्चा की। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि सिग्नेचर ब्रिज के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अगस्त तक निविदाएं खोली जाएंगी। टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पुल निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा।
चार प्रमुख चुनौतियां और उनके संभावित समाधान
निरीक्षण के दौरान सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा यातायात मार्ग और नए पुल के संरेखण के बीच टकराव को लेकर सामने आई। नया पुल मौजूदा यातायात मार्ग के ऊपर से गुजरता है, जिससे यातायात बाधित हो सकता है। इसे देखते हुए चार वैकल्पिक रूट चिह्नित किए गए हैं, जिनकी व्यवहार्यता पर रेलवे अधिकारी जल्द निर्णय लेंगे। इन वैकल्पिक मार्गों से निर्माण कार्य के दौरान यातायात की रफ्तार प्रभावित नहीं होगी।
दूसरी बड़ी चुनौती भूमि स्वामित्व को लेकर सामने आई, विशेष रूप से ग्रैंड ट्रंक रोड के समानांतर पड़ाव की ओर। हालांकि, राजस्व विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहले से ही सरकार के अधीन है। चाहे वह रेलवे, रक्षा या राज्य प्राधिकरणों की हो, इसलिए भूमि अधिग्रहण में कोई अड़चन नहीं आने की संभावना है।
पर्यटन और कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा
तीसरी महत्त्वपूर्ण चर्चा नमो घाट तक पहुंच मार्ग को लेकर हुई। परियोजना के अंतर्गत नमो घाट तक जाने वाली सड़क को चौड़ा किया जाएगा, जिससे न केवल बेहतर यातायात सुविधा सुनिश्चित होगी, बल्कि घाट क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
डार्ट ब्रिज का होगा विस्तार
चौथी चुनौती डार्ट ब्रिज की मौजूदा संरचना से जुड़ी थी, जो भविष्य में बढ़े हुए यातायात को संभालने में अक्षम हो सकता है। रेलवे अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि इस ब्रिज को छह लेन तक विस्तारित किया जाएगा और इसका कार्य नए रेल-सह-सड़क पुल के साथ ही पूरा किया जाएगा।
इस निरीक्षण में एसडीएम सदर अमित कुमार सहित रेलवे, राजस्व और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। मण्डलायुक्त ने सभी विभागों से आपसी समन्वय से कार्य में तेजी लाने और जनता को न्यूनतम असुविधा सुनिश्चित करने की अपील की। परियोजना के सफल क्रियान्वयन से वाराणसी की कनेक्टिविटी और यातायात प्रणाली को नया आयाम मिलेगा।