सेंट मैरी चर्च : पूर्वांचल का पहला गिरजाघर जहां प्रार्थना स्थल के अंदर संस्कृत में लिखा है श्लोक, अंग्रेजी हुकूमत में रखी गई नींव, 1993 में भव्य पुननिर्माण
रिपोर्ट : ओमकारनाथ
वाराणसी। धार्मिक सहिष्णुता और आपसी भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश करता वाराणसी कैंटोनमेंट स्थित सेंट मैरी चर्च (महागिरजा) सभी के लिए आस्था, शांति व सद्भाव का केंद्र है। यहां हर धर्म, जाति और वर्ग के लोग श्रद्धा के साथ पहुंचते हैं और प्रार्थना कर मानसिक शांति की अनुभूति करते हैं। पूरे पूर्वांचल में यह एकमात्र ऐसा गिरजाघर माना जाता है, जिसके प्रार्थना कक्ष के भीतर संस्कृत भाषा में श्लोक अंकित है। यह श्लोक सार्वभौमिक भाईचारे, प्रेम और मानवता का संदेश देता है, जो इस गिरजाघर को विशेष और अनूठा बनाता है। संस्कृत में अंकित यह संदेश इस बात का प्रतीक है कि आध्यात्मिक मूल्यों की भाषा किसी एक धर्म तक सीमित नहीं होती, बल्कि वह संपूर्ण मानव समाज को जोड़ने का कार्य करती है।
शांति, सादगी और सौहार्द का संगम
गिरजाघर का शांत वातावरण, सादगीपूर्ण लेकिन भव्य वास्तुकला और अनुशासित व्यवस्था यहां आने वाले श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करती है। यहां आने वाले लोग बताते हैं कि यह स्थान उन्हें न केवल ईश्वर से जोड़ता है, बल्कि आपसी सौहार्द, सह-अस्तित्व और मानवता का भाव भी सिखाता है। पर्व-त्योहारों और विशेष प्रार्थनाओं के अवसर पर सभी धर्मों के लोग एक साथ एकत्र होकर शांति और सद्भाव की कामना करते हैं। वाराणसी जैसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगर में यह गिरजाघर गंगा-जमुनी तहजीब का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां विविध आस्थाएं एक-दूसरे का सम्मान करते हुए एक सूत्र में बंधी नजर आती हैं।
1840 में रखी गई थी नींव
चर्च की आधारशिला अंग्रेजी हुकूमत के दौरान सन 1840 में रखी गई थी, हालांकि इसका लिखित इतिहास 1920 से उपलब्ध है। यह गिरजाघर वाराणसी धर्मप्रांत द्वारा संचालित है। वर्ष 1970 में तत्कालीन बिशप पैट्रिक डिसूजा ने इसे भव्य स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने 8 अगस्त 1970 को कार्यभार ग्रहण किया था। इससे पूर्व यह बनारस-आगरा धर्मप्रांत के अंतर्गत संचालित होता था।
1993 में हुआ पुनर्निर्माण
वर्ष 1989 में एक कुशल वास्तुविद् के निर्देशन में इस कैथेड्रल के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ, जो 1993 में पूर्ण हुआ। पुनर्निर्माण के बाद जब यह महागिरजा पूरी तरह तैयार हुआ, तो इसकी भव्यता और खूबसूरती ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हर धर्म के लिए खुले हैं द्वार
वाराणसी धर्मप्रांत के बिशप डॉ. यूजिन जोसेफ के अनुसार, सेंट मैरी महागिरजा की गिनती दुनिया के खूबसूरत गिरजाघरों में होती है। वास्तुकला और सौंदर्य की दृष्टि से यह देश की शान है। गिरजाघर परिसर सभी धर्मों के बीच आपसी समन्वय, सहयोग और मानव सेवा के लिए सदैव खुला रहता है।
बाइबल प्रदर्शनी बनी मुख्य आकर्षण
गिरजाघर के बेसमेंट में स्थित बाइबल प्रदर्शनी यहां का प्रमुख आकर्षण है। पवित्र बाइबल में वर्णित सृष्टि की रचना से लेकर मानव मुक्ति योजना और प्रभु यीशु मसीह के जन्म से लेकर पुनरुत्थान तक की घटनाओं को सजीव झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। ये झांकियां अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से विद्युत मशीनों, लकड़ी की प्रतिमाओं, प्रकाश और ध्वनि संयोजन द्वारा संचालित होती हैं, जिन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो दृश्य जीवंत हो उठे हों। कुल मिलाकर, वाराणसी कैंटोनमेंट स्थित सेंट मैरी चर्च न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह मानवता, प्रेम और भाईचारे का जीवंत संदेश देने वाला केंद्र भी है, जो काशी की साझा संस्कृति को और अधिक सशक्त करता है।
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