बीएचयू में ‘स्पंदन’ युवा महोत्सव: वसंत के मौसम में बिखेरी छठ की छठा, लोकनृत्य, शास्त्रीय संगीत और रंगमंच का दिखा भव्य संगम

 
-    युवा महोत्सव के मंच पर दिखी लघु भारत की तस्वीर

-    लोक संस्कृति के रंगों में सराबोर हुआ बीएचयू परिसर

-    शास्त्रीय संगीत और नृत्य में विद्यार्थियों ने किया प्रतिभा प्रदर्शन 

-    आखिरी दिन 13 प्रतियोगिताओं में लगभग 850 प्रतिभागियों ने की शिरकत

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के एम्फीथिएटर मैदान में आयोजित ‘अंतर-संकाय युवा महोत्सव – स्पंदन’ में कला, संस्कृति और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस महोत्सव के मंच पर जब लोकनृत्य ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’ की धुन गूंजी, तो पूरा परिसर छठ के उल्लास में झूम उठा। लोक और आदिवासी नृत्य प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने नागपुरी, घूमर, कजरी, असमिया, कलेबालिया, जोगवा, लावणी और तारातली जैसी पारंपरिक नृत्य शैलियों का शानदार प्रदर्शन किया।

इस दौरान, जब एक प्रतिभागी समूह ने आग और मटकों के साथ राजस्थान का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘भावानी’ प्रस्तुत किया, तो दर्शक हैरान रह गए। नृत्य की इस अनूठी प्रस्तुति ने पूरे माहौल को रोमांचक बना दिया। विभिन्न संकायों और महाविद्यालयों की टीमों ने अपनी संगीत धुनों के साथ मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए, जिससे दर्शक भी झूम उठे।

शास्त्रीय नृत्य और संगीत की दिखी मनमोहक प्रस्तुतियां

लोकनृत्य के साथ-साथ पं. ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जहां कथक, भरतनाट्यम और ओडिशी नृत्य शैलियों की मोहक प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। इन नृत्यों के माध्यम से प्रतिभागियों ने प्रेम, मौसम और आस्था के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत किया।

वहीं, कृषि शताब्दी सभागार में आयोजित गायन प्रतियोगिता में प्रतिभागियों की सूफियाना धुनों ने समां बांध दिया। जब एक प्रतिभागी ने अंदाज-ए-करम का राग छेड़ा, तो पूरा सभागार सूफियाना रंग में रंग गया। ‘लाइट वोकल सोलो’ प्रतियोगिता में 22 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। मिथिला की लोकधुनों पर आधारित ‘आजू मिथिला नगरीया निहाल सखिया’ ने शादी के माहौल जैसा समां बना दिया। वहीं, जब ‘राग जौनपुरी’ में ‘पायल की झंकार’ प्रस्तुत की गई, तो प्रेक्षागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

रंगमंच पर सामाजिक मुद्दों की प्रस्तुति ने किया भाव विभोर

महोत्सव के दौरान स्वतंत्रता भवन में रंगमंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जहां नशामुक्त समाज की अवधारणा पर लघु नाटक प्रस्तुत किए गए। नाटकों का संदेश था - ‘इलाज से बेहतर परहेज’। इसके अलावा, भगत सिंह, मानसिक स्वास्थ्य, मानवीय संवेदना और महाकुंभ की घटनाओं पर आधारित नाटकों की प्रस्तुतियां भी की गईं।

मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के महामना सभागार में भी रंगमंच प्रतियोगिताएं हुईं। 10 टीमों ने ‘रिश्तों से बड़ा पैसा’, ‘डिग्री है तो नौकरी नहीं’, ‘फेसबुक स्कॉलर’, ‘बढ़ती महंगाई-घटती आमदनी’ जैसे ज्वलंत मुद्दों पर नाटक प्रस्तुत किए। मोनो एक्टिंग प्रतियोगिता में 17 प्रतिभागियों ने शेक्सपियर और रविंद्रनाथ टैगोर की कहानियों पर अभिनय कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

ललित कला में हाथों का हुनर दिखा

महोत्सव के दौरान ललित कला प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया, जिसमें मेंहदी, स्केचिंग और पोस्टर मेकिंग शामिल थीं। दृश्य कला संकाय में आयोजित ‘शगुन की मेहंदी’ प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने अपने हाथों पर खूबसूरत डिजाइन बनाए। स्केचिंग प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के जीवन को कैनवास पर सजीव किया गया। वहीं, मालवीय भवन में ‘स्वच्छ बीएचयू, हरा बीएचयू’ विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता हुई, जिसमें छात्रों ने अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया।

ज्ञान और बुद्धिमत्ता का भी हुआ मुकाबला

महोत्सव के दौरान वाद-विवाद और क्विज प्रतियोगिताएं भी हुईं। शारीरिक शिक्षा विभाग के डॉ. कर्ण सिंह हॉल में संस्कृत वाद-विवाद और कविता प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें क्रमशः 14 और 9 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। वहीं, विधि संकाय के फैकल्टी लाउंज में क्विज प्रतियोगिता का फाइनल राउंड खेला गया, जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी बौद्धिक क्षमता का प्रदर्शन किया।

महोत्सव का समापन कर पुरस्कार वितरण

अंतर-संकाय युवा महोत्सव ‘स्पंदन’ के आखिरी दिन कुल 13 प्रतियोगिताओं में लगभग 850 प्रतिभागियों ने प्रतिस्पर्धा की। विजेताओं की घोषणा और पुरस्कार वितरण गुरुवार को एम्फीथिएटर मैदान में किया जाएगा। इस महोत्सव ने न केवल छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच दिया, बल्कि कला, संस्कृति और ज्ञान के रंगों से पूरा परिसर सराबोर हो गया।