सपा ने वाराणसी लोकसभा सीट से सुरेंद्र पटेल पर लगाया दांव, कुर्मी वोट के साथ MY समीकरण साधने की रणनीति
PDA के फ़ॉर्मूले पर चल रही सपा ने कुर्मी वोट साधने के लिए सुरेंद्र पटेल को प्रत्याशी बनाया है। चूंकि सुरेंद्र पटेल जिस क्षेत्र के रहने वाले हैं, वहां कुर्मी वोटों की संख्या काफी ज्यादा है। स्वयं प्रधानमंत्री ने भी अपने पिछले वाराणसी दौरे पर कुर्मी वोटों पर साधने के उद्देश्य से सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र के बरकी गांव में जनसभा किया था।
पिछले दिनों अखिलेश यादव के वाराणसी दौरे के दौरान जो तस्वीरें सामने आई थीं, उनसे कई हद तक स्पष्ट हो गया था कि वाराणसी में सपा कांग्रेस को दरकिनार अपना प्रत्याशी घोषित करेगी।
दूसरे नंबर पर थी सपा प्रत्याशी शालिनी यादव
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र पटेल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी व अपना दल गठबंधन के प्रत्याशी नीलरत्न पटेल उर्फ़ नीलू से हार गए थे। नीलू को 1,03,423 वोट, वहीँ सुरेंद्र पटेल को मात्र 54,241 वोट मिले थे। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सुरेंद्र पटेल को पराजय हाथ लगी। रोहनियां विधानसभा सीट से सुरेंद्र पटेल 2012 में जीते थे। उन्हें अखिलेश सरकार में सिंचाई मंत्री बनाया गया था।
सोनेलाल पटेल के साथ की थी अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत
सुरेंद्र पटेल ने अपनी राजनीति की शुरुआत सोनेलाल पटेल के साथ अपना दल से की थी। वह तत्कालीन गंगापुर सीट से 1996 में चुनाव लड़े, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी बचनुराम पटेल से हार गए थे। हालांकि दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद 2002 में फिर से इसी सीट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल कर विधायक बने। इसके बाद सपा से जुड़कर 2007 में पुन: विधानसभा पहुंचे।
कुर्मी वोटबैंक पर अच्छी पकड़
वाराणसी संसदीय सीट पर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी शालिनी यादव लगभग 2 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर थी। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय सवा लाख मतों के साथ तीसरे नंबर पर थे। बताया जा रहा है कि इसी कारण समाजवादी पार्टी वाराणसी लोकसभा सीट को गठबंधन में गंवाना नहीं चाहती थी और सुरेंद्र पटेल को मैदान में उतारा।
सपा का MY समीकरण
वाराणसी लोकसभा सीट पर दो विधानसभा क्षेत्रों रोहनिया और सेवापुरी कुर्मी बाहुल्य है। यहां कुर्मी मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। वहीं सुरेंद्र पटेल भी इसी बिरादरी से आते हैं। इसके अलावा शहर के तीन विधानसभा क्षेत्रों में भी परम्परागत यादव वोट बैंक हमेशा सपा के ही खेमे में जाता है। पटेल और यादव मतदाताओं के बाद मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव भी सपा की ओर ही होगा। ऐसे में पार्टी को इस बार चुनाव में भाजपा के खिलाफ अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।