बीएचयू के अध्ययन में खुलासा, बच्चों की आहार आदतों को प्रभावित करते हैं सामाजिक और पारिवारिक कारक 

बीएचयू के महिला महाविद्यालय की शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की आहार संबंधी आदतों को प्रभावित करने वाले कारकों की गहराई से पड़ताल की है। यह अध्ययन नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच वाराणसी स्थित स्कूलों में किया गया और हाल ही में प्रतिष्ठित BMC Public Health पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
 

वाराणसी। बीएचयू के महिला महाविद्यालय की शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की आहार संबंधी आदतों को प्रभावित करने वाले कारकों की गहराई से पड़ताल की है। यह अध्ययन नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच वाराणसी स्थित स्कूलों में किया गया और हाल ही में प्रतिष्ठित BMC Public Health पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इस शोध में मालवीय पोस्ट-डॉक्टोरल फेलो डॉ. नेहा राठी, प्रो. मुक्ता सिंह, प्रो. कल्पना गुप्ता, एमएससी छात्राएं प्रार्थना, मनीषा और अंजलि तथा डीकिन यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) के प्रो. एंथनी वॉर्सले शामिल थे। बीएचयू के इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस द्वारा प्रायोजित इस अध्ययन का उद्देश्य भारतीय बच्चों की खानपान आदतों को आकार देने वाले प्रमुख सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत कारकों की पहचान करना था।

अध्ययन में वाराणसी के 19 बच्चों, 19 माताओं और 15 शिक्षकों से गहन साक्षात्कार लिए गए। बातचीत की शुरुआत बच्चों से उनके पसंदीदा और नापसंद खाद्य पदार्थों का चित्र बनवाकर की गई, जिससे उनकी प्राथमिकताओं को समझने में सहायता मिली। डॉ. नेहा राठी ने बताया कि यह अध्ययन अपनी तरह का पहला गुणात्मक शोध है जिसमें बच्चों, उनकी माताओं और शिक्षकों के दृष्टिकोण को एक साथ शामिल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि बच्चों की आहार आदतें केवल व्यक्तिगत पसंद-नापसंद तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके आसपास का सामाजिक और भौतिक वातावरण भी इन आदतों को प्रभावित करता है।

शोध में सामने आए तथ्य 
•    व्यक्तिगत स्तर: स्वाद की प्राथमिकताएं और पोषण ज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
•    पारिवारिक स्तर: घर का वातावरण, नियम और भोजन की उपलब्धता बच्चों के भोजन विकल्पों को प्रभावित करते हैं।
•    सामाजिक प्रभाव: मित्रों की खानपान आदतें और उनके साथ तुलना का दबाव भी बच्चों को प्रभावित करता है।
•    भौतिक वातावरण: स्कूल भोजन और बाजार में उपलब्ध खाद्य विकल्पों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण है।
•    मीडिया प्रभाव: टीवी और इंटरनेट विज्ञापन बच्चों की अस्वास्थ्यकर चीजों के प्रति रुचि बढ़ाते हैं।

शोध के सुझाव
•    माता-पिता को बच्चों के लिए सकारात्मक रोल मॉडल बनाया जाए।
•    माता-पिता को पोषण संबंधी मार्गदर्शन दिया जाए और परिवार में सामूहिक भोजन को प्रोत्साहन मिले।
•    स्कूली बच्चों के लिए व्यावहारिक पोषण शिक्षा कार्यक्रम चलाए जाएं।
•    स्कूल स्तर पर ऐसी नीतियां बनाई जाएं जिनमें सभी हितधारकों की भागीदारी हो और पोषण शिक्षा को बढ़ावा मिले।