काशी में छठां घाट वाक वार्षिकोत्सव, राजेश्वर आचार्य बोले, घाट ज्ञान की सीढ़ी
वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वाक विश्विद्यालय का छठें वार्षिकोत्सव समारोह का उद्घाटन रीवा घाट पर सम्पन्न हुआ। इस बार के घाट वाक का केंद्रीय विषय था- 'घाटवाक का नायकोत्सव'। उद्घाटन के बाद काशी के विविध घाटों से होता हुआ यह घाटवाक राजघाट पर सम्पन्न हुआ। राधकृष्ण गणेशन ने गणेश वंदना की। इस अवसर पर भोजपुरी के रचनाकार हरिराम द्विवेदी को श्रद्धांजलि दी गई।
घाटवाक के उद्घटान कार्यक्रम में इस बार का मुख्य आकर्षण लोक कलाकार अष्टभुजा मिश्र का तुलसीघाट पर महान कवि तुलसीदास के भाव अभिनय का मंचन रहा। इसमें काशी में तुलसी के संघर्ष को दिखाया गया। स्वागत वक्त्तव्य देते हुए काशी घाट वाक के संस्थापक व प्रख्यात चिकित्सक प्रो विजयनाथ मिश्र ने कहा कि घाटवाक काशी को जानने के साथ खुद को भी जानने का एक माध्यम है। यहां के हर घाट अपने पास एक महान नायक का बोध कराते हैं। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि काशी विनम्र बनाती है। यहां हर कोई नायक है क्योंकि हर किसी में ज्ञान की सम्भावना है। प्रत्येक घाट यहां ज्ञान के ठाट है। घाट ज्ञान की सीढ़ी हैं।
संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि काशी भगवान शिव का प्रसाद है। यहां सहना भी ज्ञान का आधार है। काशी बहुआयामी है। यहां के घाट सांस्कृतिक कोड जैसे हैं। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री ऋत्विक सान्याल ने कहा कि काशी ज्ञान का ताना बाना है। यहां साधन से साध्य की यात्रा होती है। सुदर्शन महाराज ने कहा कि घाटवाक से मन कि सफाई के साथ ज्ञान भी मिलता है। प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि काशी के घाट रससिक्त ही नहीं ज्ञान सिक्त भी हैं। शिव खुद में इसके नायक हैं जिनके प्रभाव में यहां शंकराचार्य, रामानंद,कबीर,रविदास,तुलसीदास से लेकर बल्लभाचार्य, तैलंगस्वामी व मां आनंदमई जैसे लोगों ने इस शहर को नायकत्व प्रदान किया। सत्र का संचालन डॉ उदय पाल ने किया।
मानसरोवर घाट पर महिला सम्मान सत्र का आयोजन किया गया। इसमें धनावती देवी, प्रो. सुचिता वर्मा, एथलीट नीलू मिश्र, सुष्मिता यादव को सम्मानित किया गया। वहीं दशाश्वमेध घाट पर इन्हीं के द्वारा शंकराचार्य व चांडाल का रोचक संवाद प्रस्तुत किया गया। राजघाट पर कबीर- रविदास सम्वाद का भाव पूर्ण मंचन भी किया गया। राजेंद्र श्रीवास्तव द्वारा कठपुतली नृत्य भी प्रस्तुत किया गया।
समापन राजघाट पर हुआ। इसमें चल्ला सुब्बा राव ने कहा कि घाटवाक जीवन के उल्लास का आधार है। डॉ अमरजीत राम ने कहा कि घाट वाक संस्कृति का प्रवाह है। प्रो कमलेश वर्मा ने कहा कि 'घाटवाक का नायकोत्सव' नामक इस आयोजन से काशी के नायकों के प्रति नई पीढ़ी की जिज्ञासा बढ़ेगी। डॉ विंध्याचल यादव ने कहा कि घाटवाक का आनंद अप्रतिम है। यह अपनी विरासत को समझने का एक दुर्लभ माध्यम है। इस अवसर पर उमाशंकर गुप्त, प्रो अमिताभ ने भी अपने विचार रखे। संयोजन जितेंद्र कुशवाहा व संदीप त्रिपाठी ने किया। पूरे कार्यक्रम के लिए शैलेश तिवारी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। लौटते समय बजड़े पर गीत व नृत्य का आयोजन भी किया गया।
कार्यक्रम में शिव शक्ति द्विवेदी, अमिताभ गौतम, किशन दीक्षित, प्रो देवेंद्र मिश्र, प्रभास महाराज, मनीष खत्री, कृष्ण मोहन पांडेय, शैलेश तिवारी, वाचस्पति उपाध्याय, अरविंद पटेल, शिव विश्वकर्मा, कविता गोंड, अभय तिवारी, राकेश, नागेश्वर दुबे, डॉ अवधेश दीक्षित, रमेश सिंह, पत्रकार सुरेश प्रताप, अवनींद्र सिंह, डॉ अनूप मिश्र, कुमार पुष्कर, चित्रकार अनिल शर्मा, सुधीर त्रिपाठी, अभिषेक गुप्ता, अमित राय, शोभनाथ यादव, गोविंद सिंह, विनय महादेव, संदीप सैनी समेत अन्य रहे।