काशी के छह हनुमान मंदिर, जिनकी स्थापना गोस्वामी तुलसीदास ने की: आस्था, इतिहास और भक्ति की अनूठी परंपरा

वाराणसी। सनातन धर्म और भक्ति की राजधानी काशी में भगवान हनुमान के कई प्राचीन और सिद्ध मंदिर हैं। मान्यता है कि इनमें से छह प्रमुख हनुमान मंदिरों की स्थापना स्वयं गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि तुलसीदास जी की साधना, तपस्या और श्रीराम के प्रति उनके अटूट प्रेम से भी जुड़े हुए हैं। सदियों से इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही है और आज भी लोगों का विश्वास इनकी महिमा पर अडिग है।
 
 स्पेशल रिपोर्ट / ओमकार नाथ

वाराणसी। सनातन धर्म और भक्ति की राजधानी काशी में भगवान हनुमान के कई प्राचीन और सिद्ध मंदिर हैं। मान्यता है कि इनमें से छह प्रमुख हनुमान मंदिरों की स्थापना स्वयं गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि तुलसीदास जी की साधना, तपस्या और श्रीराम के प्रति उनके अटूट प्रेम से भी जुड़े हुए हैं। सदियों से इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही है और आज भी लोगों का विश्वास इनकी महिमा पर अडिग है।

संकटमोचन हनुमान मंदिर: संकट हरने वाले हनुमान
काशी के लंका क्षेत्र में स्थित संकटमोचन हनुमान मंदिर सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। लोकमान्यता है कि यहां विराजमान हनुमान जी का विग्रह स्वयंभू है, जो तुलसीदास जी की कठोर तपस्या से प्रकट हुआ। हनुमान जी की यह प्रतिमा भक्तों को अभय देने वाली मानी जाती है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां दर्शन करने से बड़े से बड़ा संकट भी दूर हो जाता है। पहले यह स्थान एक छोटी मढ़ी था, जो समय के साथ भव्य मंदिर बन गया।

हनुमान फाटक का बाल हनुमान मंदिर
हनुमान फाटक क्षेत्र में स्थित बाल हनुमान मंदिर की स्थापना भी तुलसीदास द्वारा किए जाने की मान्यता है। यहां हनुमान जी बाल रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि तुलसीदास जी कुछ समय तक यहीं रहे और श्रीरामचरितमानस के कुछ अंशों की रचना इसी स्थान पर की थी। यह मंदिर भक्ति और साधना का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

तुलसीघाट के गुफा वाले हनुमान 
गंगा तट पर तुलसीघाट स्थित गुफा वाले हनुमान जी बाल रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर दक्षिणामुखी है, इसलिए इन्हें अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां दर्शन करने से भय, बाधा और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। मंदिर परिसर में हनुमान जी के अन्य स्वरूप भी स्थापित हैं।

तुलसी मंदिर: साधना और साहित्य की धरोहर
तुलसीघाट पर स्थित तुलसी मंदिर गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख साधना स्थली मानी जाती है। यह लगभग 400 वर्ष पुराना तपोभवन है। यहां आज भी तुलसीदास जी की चरण पादुका, उनकी नाव और रामचरितमानस की प्राचीन पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। यह स्थान काशी की धार्मिक ही नहीं, बल्कि साहित्यिक विरासत का भी प्रतीक है।

कुष्ट व्यास या कोढ़िया हनुमान की कथा
काशी के कर्णघंटा क्षेत्र में स्थित वेदव्यास मठ में कुष्ट व्यास या कोढ़िया हनुमान की मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि भगवान हनुमान यहां कुष्ट रोगी के रूप में आकर कथा श्रवण करने पहुंचे थे। यह कथा हनुमान जी की विनम्रता और भक्ति भाव को दर्शाती है। श्रद्धालु यहां रोग और कष्ट से मुक्ति की कामना लेकर आते हैं।

मनसपूरन (भक्तिदा) हनुमान मंदिर
प्रह्लाद घाट पर स्थित मनसपूरन या भक्तिदा हनुमान मंदिर पूर्वाभिमुख है। लोकविश्वास है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य फल देती है। इसी कारण यह मंदिर भक्तों में बेहद लोकप्रिय है।

महामृत्युंजय हनुमान मंदिर
दारानगर क्षेत्र में महामृत्युंजय महादेव मंदिर के पास स्थित महामृत्युंजय हनुमान मंदिर भी तुलसीदास से जुड़ा माना जाता है। यह दक्षिणाभिमुख मंदिर भय, रोग और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए प्रसिद्ध है।

आस्था आज भी उतनी ही जीवंत
काशी के ये छह हनुमान मंदिर गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति, साधना और श्रीराम के प्रति उनके प्रेम के जीवंत प्रमाण हैं। सदियों बाद भी यहां उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ यह बताती है कि काशी में हनुमान जी की कृपा और तुलसीदास की परंपरा आज भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जीवित है।