श्री संकटमोचन संगीत समारोह :  सुर-लय और ताल से झंकृत होगा हनुमत दरबार, हाजिरी लगाएंगे चोटी के कलाकर 

हनुमज्जयंती उत्सव की परंपरा को संगीतमय स्वरूप प्रदान करता है संकटमोचन संगीत समारोह, जो इस बार 102वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस छह दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के ख्यातिलब्ध संगीतज्ञों और नृत्य कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी, जो संगीत प्रेमियों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करेंगी। संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने आयोजन के बाबत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संकटमोचन संगीत समारोह 16 से 21 अप्रैल तक चलेगा।
 

वाराणसी। हनुमज्जयंती उत्सव की परंपरा को संगीतमय स्वरूप प्रदान करता है संकटमोचन संगीत समारोह, जो इस बार 102वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस छह दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के ख्यातिलब्ध संगीतज्ञों और नृत्य कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी, जो संगीत प्रेमियों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करेंगी। संकटमोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने आयोजन के बाबत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संकटमोचन संगीत समारोह 16 से 21 अप्रैल तक चलेगा।

16 अप्रैल (बुधवार) : प्रथम निशा


•    पं. हरिप्रसाद चौरसिया (बांसुरी, मुंबई)
•    जननी मुरली (भरतनाट्यम, बंगलुरु)
•    पं. अजय पोहनकर (गायन, मुंबई)
•    पं. प्रवीण गोडखिंडी (संतूर, मुंबई)
•    पं. विकाश महाराज व परिवार (वाराणसी)

17 अप्रैल (गुरुवार) : द्वितीय निशा


•    लावण्या शंकर (भरतनाट्यम, चेन्नई)
•    पं. अजय चक्रवर्ती (गायन, कोलकाता)
•    पं. पूर्वायन चैटर्जी (सितार)
•    मंजूनाथ और नागराज माधवप्पा (वायलिन, मैसूर)
•    पं. नीरज पारिख (गायन, अहमदाबाद)

18 अप्रैल (शुक्रवार) : तृतीय निशा


•    यू. राजेश और पं. शिवमणि (मैंडोलिन, ड्रम, चेन्नई)
•    पं. विश्व मोहन भट्ट और सलील भट्ट (मोहन वीणा, सात्विक वीणा)
•    पं. अभय रुस्तम सोपोरी (संतूर, दिल्ली)
•    सौरभ-गौरव मिश्रा (कथक, वाराणसी)

19 अप्रैल (शनिवार) : चतुर्थ निशा


•    बी. अनुराधा सिंह (कयक, भोपाल)
•    उस्ताद वासिफउद्दीन डागर (ध्रुपद, दिल्ली)
•    पं. जयदीप घोष (सरोद, कोलकाता)
•    पं. राम शंकर व परिवार (गायन, मुंबई)
•    विदुषी कंकणा बैनर्जी (गायन, मुंबई)

20 अप्रैल (रविवार) : पंचम निशा


•    नयनिका घोष (कयक, दिल्ली)
•    अभिषेक लाहिड़ी (सरोद, कोलकाता)
•    पं. जयतीर्थ मेउन्डी (गायन, हुबली)
•    शहाना बैनर्जी (सितार, पुणे)
•    पं. संजू सहाय (तबला सोलो, वाराणसी)

21 अप्रैल (सोमवार) : समापन निशा


(कार्यक्रम सूची अभी निर्धारित होनी है, परंपरागत रूप से ख्यातिप्राप्त कलाकार ही इसमें सम्मिलित होंगे)


श्री संकटमोचन हनुमज्जयंती महोत्सव : काशी में भक्तिभाव, रामकथा और सुर-संगीत का अनुपम संगम
काशी नगरी एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और संस्कृति के भव्य संगम की साक्षी बनने जा रही है। संकटमोचन मंदिर परिसर में 12 अप्रैल से 21 अप्रैल तक श्री संकटमोचन हनुमज्जयंती महोत्सव बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ आयोजित होगा। इस महोत्सव के अंतर्गत श्रीरामायण सम्मेलन, श्रीमानस व्याख्यान, और संकटमोचन संगीत समारोह जैसे विविध आध्यात्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों का अनुष्ठान किया जाएगा।

 

श्री हनुमज्जयंती महोत्सव: 12 अप्रैल (शनिवार)
हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर संकटमोचन मंदिर परिसर में विशेष श्रृंगार, आरती, पूजन, शहनाई वादन, रामचरितमानस का एकाह पाठ, रामार्चा पूजन, सुंदरकांड पाठ, और नगर की विभिन्न रामायण मंडलियों द्वारा रात्रि भर अखंड रामायण पाठ का आयोजन होगा। यह दिन विशेष रूप से हनुमान भक्तों के लिए अपार आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य लाभ का अवसर प्रदान करेगा। 

प्रातःकाल श्री हनुमान जी की झांकी और आरती के साथ दिन की शुरुआत होगी। इसके पश्चात श्रीरामचरितमानस का पाठ और रामायण मंडलियों का अखंड भजन प्रारंभ होगा। सायंकाल में श्रीरामकृष्ण मिशन की मंडलियों द्वारा संकीर्तन होगा, जो श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सराबोर कर देगा।

102वां सार्वभौम श्रीरामायण सम्मेलन: 13 अप्रैल से 15 अप्रैल
हनुमज्जयंती महोत्सव के अवसर पर काशी में आयोजित हो रहा है सार्वभौम श्रीरामायण सम्मेलन सभा का 102वां अधिवेशन। यह तीन दिवसीय आयोजन 13 अप्रैल से 15 अप्रैल तक सायंकाल 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक चलेगा। इस सम्मेलन में देश भर के प्रतिष्ठित मानस प्रवचनकर्ता भाग लेंगे जो श्रीरामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगों पर विचार प्रस्तुत करेंगे। 

सम्मेलन का शुभारंभ श्री सीताराम जी की प्रतीकात्मक उपस्थिति के साथ होगा। काशी के साथ-साथ अन्य नगरों से पधारे मानस मर्मज्ञ प्रवचनकर्ताओं की सूची में प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं :


•    पंडित उमा शंकर जी शर्मा (बरेली)
•    पंडित किशन जी उपाध्याय (किशनगंज)
•    डॉ. चंद्रकांत चतुर्वेदी (भभुआ)
•    प्रो. नलिन श्याम कामिल (मिर्जापुर)

 

इन सभी वक्ताओं की ओजस्वी वाणी श्रद्धालुओं को रामभक्ति में सराबोर कर देगी। मानस के गंभीर प्रसंगों की व्याख्या के साथ यह सम्मेलन आत्मविकास और समाज कल्याण के भावों को भी जागृत करेगा।