शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गौ -प्रतिष्ठा आंदोलन का आवाह्न, देशभर के गौ सेवक करेंगे वृंदावन में सभा
Updated: Dec 12, 2023, 15:01 IST
वाराणसी। भेलूपुर क्षेत्र के केदारघाट स्थित विद्या मठ में शंकराचार्य स्वामी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ -प्रतिष्ठा आंदोलन का आवाह्न किया। शंकराचार्य ने गौ-प्रतिष्ठा आन्दोलन के अन्तर्गत 13 दिसम्बर को वाराणसी से भारत के सभी प्रदेशों के लिए गौ-दूतों की नियुक्त किया। यह गौदूत सन्त उन-उन प्रदेशों के गौ-भक्तों से मिलकर आन्दोलन को गति प्रदान करेंगे। जबकि अगामी 4 जनवरी 2024 को वृन्दावन में सभी प्रदेशों के गौ-भक्तों की एक विशेष गौ-सभा आयोजित होगी, जिसमें आन्दोलन के विविध पहलुओं को स्पष्टता देते हुए कमर-कसी जायेगी। 15 जनवरी से 23 जनवरी तक नौ दिनों में दिल्ली में गौ-प्रतिष्ठा आन्दोलन के लिए नौ-विशेषज्ञ समूहों की बैठक आयोजित की जायेगी।
शंकराचार्य ने कहा कि इस आंदोलन से भी काम नहीं बना तो आगे काम नहीं हुआ तो 10 को विशेषज्ञों से प्राप्त निष्कर्षों के साथ गौ-प्रतिष्ठा आन्दोलन के लोगों को प्रतिनिधि मण्डल देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से मिलगे। यदि फिर भी काम नहीं बना तो 6 फरवरी 2024 को प्रयागराज में वृहद 'गौ-संसद्' का आन्दोलन होगा, जिसमें देश की सभी संसदीय क्षेत्रों से एक गौ-प्रतिनिधि मनोनीत होकर सम्मिलित होगा और देश की जनता की ओर से प्रस्ताव पारित करेगा। इसके बावजूद यदि फिर भी काम नहीं बना तो दिन 10 मार्च को पूरे देश से दिल्ली में गौ-भक्त एकत्रित होंगे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
इस मौके पर अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति की आत्मा है। महाभारत (अनुशासन पर्व अ. १४५) के अनुसार सृष्टि की रचना के इच्छुक ब्रह्माजी ने सबसे पहले गौ-माता का निर्माण किया था, ताकि उनकी सृष्टि का पोषण हो सके। पोषण के अपने इसी गुण से गाय विश्व-माता कहलायी। इसे वेदों और पुराणों में 'अहन्या, अवध्या' कहा गया, पर दुर्भाग्य से इस समय विश्व में सबको पालन-पोषण करने वाली को काटने और खाने का चलन हो रहा है, जो कि भारतीय कृतज्ञ संस्कृति पर कलङ्क की तरह है।
शंकराचार्य ने कहा कि पूर्व काल में राजा परीक्षित के सामने कलयुग ने डण्डे से गौ को मारना चाहा था, तब वे उसे मृत्युदण्ड दे रहे थे और आज के राजा गाय को काटते और करुण पुकार करते हुए देखकर भी कैसे चुप रह सकते हैं? गौ-माता की इसी करुण पुकार को सरकार के सामने, सरकार के सुनाने और सरकार द्वारा गौ-व्यथा को दूरकर उन्हें अभय और प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए राष्ट्र-व्यापी गौ-प्रतिष्ठा आन्दोलन आरम्भ हुआ है, जिसको देश के चारों पीठों के पूज्य शङ्कराचार्यों एवं अन्य विशिष्ट धर्माचार्यों के साथ-साथ कुछ प्रदेशों की विधान सभाओं का भी सहयोग मिल रहा है।