BHU में पीएचडी प्रवेश घोटाले के खिलाफ दूसरा छात्र भी कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठा, EWS प्रमाणपत्र की वैधता पर उठाए सवाल

 
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में धांधली के आरोप को लेकर हिन्दी विभाग के एक शोधार्थी भास्करादित्य कुलपति आवास पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। शनिवार को उनका धरने का दूसरा दिन रहा, लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई अधिकारी उनसे बातचीत के लिए नहीं पहुंचा है। छात्र का आरोप है कि हिन्दी विभाग में नियमों को ताक पर रखकर एक अभ्यर्थी को अवैध तरीके से प्रवेश दे दिया गया है।

भास्करादित्य ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि विभाग के कुछ प्रोफेसरों की मिलीभगत से एक छात्रा को पीएचडी प्रवेश के लिए वैध EWS प्रमाणपत्र न होने के बावजूद अतिरिक्त एक महीने का समय दिया गया। जबकि नियमों के अनुसार, जब जनवरी 2025 में पीएचडी का आवेदन पत्र भरा गया और मार्च के पहले सप्ताह में इंटरव्यू और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन हुआ, तो उस समय तक संबंधित छात्रा के पास वैध प्रमाणपत्र होना आवश्यक था।

छात्र का दावा है कि परिणाम 21 मार्च को घोषित किया गया था और यहां तक कि उसके एक सप्ताह बाद तक भी छात्रा के पास वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए मान्य EWS प्रमाणपत्र नहीं था। प्रमाणपत्र 29 मार्च 2025 को बना, जो कि नियमों के अनुसार पहले से मान्य नहीं माना जा सकता क्योंकि यह दस्तावेज़ उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से महज दो दिन पहले जारी किया गया।

छात्र ने आरोप लगाया कि जब इस गड़बड़ी की ओर विभाग का ध्यान दिलाया गया, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। भास्करादित्य ने बताया कि 28 मार्च को प्रतीक्षा सूची के छात्रों को लिंक भेजा जाना था, लेकिन उस दिन भी विभाग ने जानबूझकर पोर्टल को रोक दिया और किसी भी छात्र को प्रवेश की सूचना नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में विभागीय मिलीभगत साफ नज़र आती है और इसका मकसद नियमों को दरकिनार कर एक अभ्यर्थी को लाभ पहुंचाना है।

धरने पर बैठे छात्र ने कहा कि इस मामले की मौखिक शिकायत उन्होंने विश्वविद्यालय के कंट्रोलर और डिप्टी कंट्रोलर से भी की, लेकिन उन्होंने भी जिम्मेदारी से बचते हुए पूरा मामला हिन्दी विभाग पर डाल दिया। अब तक किसी भी विश्वविद्यालय अधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन इस गंभीर अनियमितता पर आंख मूंदे बैठा है।

छात्र का कहना है कि यह सिर्फ एक प्रवेश प्रक्रिया नहीं, बल्कि पूरे विश्वविद्यालय की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका शांतिपूर्ण धरना जारी रहेगा। धरना स्थल पर अन्य छात्रों का भी धीरे-धीरे समर्थन मिल रहा है और यह मामला धीरे-धीरे विश्वविद्यालय के अंदरूनी गलियारों में तूल पकड़ने लगा है।