चांद का दीदार होते ही माह-ए-रमजान शुरू, कल से मुस्लिम रखेंगे रोजा, छतों पर फोड़े पटाखे

 

वाराणसी। चांद का दीदार होते ही माह-ए-रमजान की शुरुआत हुई। मुस्लिमों के लिए यह महीना सबसे पवित्र माना जाता है। काशी के आसमान में सोमवार की शाम चांद का दीदार होते ही रमजान के पाक माह के शुरू होने की लोगों ने तस्दीक किया। इसके साथ ही मुस्लिम क्षेत्रों में शाम से ही खूब पटाखे छोड़े गये, पूरा क्षेत्र गुलजार दिखा, तो शाम से देर रात तक लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। 

शाम होते ही मुस्लिम क्षेत्रों में सभी अपनी छतों पर नजर आये कोई दूरबीन तो कोई ऐसे ही चांद के दीदार के लिए पलके बिछाएं रखा था। शाम लगभग 6 बजकर 5 मिनट पर चांद के दिखते ही पटाखों को छोड़ने का दौर चला इसके साथ ही सभी ने एक दूसरे को मुबारक बाद दी। मस्जिदों में रमजान का चांद दिखने के साथ ही तरावीह की नमाज शुरू हो गई, और शव्वाल (ईदुल फितर) का चांद दिखते तरावीह की नमाज खत्म होगी। चांद के दीदार के साथ ही पहले दिन से बाजार में लोगों की चहलकदमी दिखने लगी।

बाजार में इफ्तार और सहरी के लिए सिवईं, खजूर सहित अन्य खाद्य पदार्थों की खरीदारी की गई। सोशल मीडिया पर भी सभी धर्मों के लोगों ने मुस्लिमों को रमजान की मुबारकबाद दी। आसमान में चांद नजर आते ही सायरन बजा और गोले भी छोड़े गए। 

रमजान में जकात देता है बरकत का संदेश

जकात को मुस्लिम धर्म में दान कहा जाता है, ईद के दिन की तरह ही रमजान के पाक दिनों में भी नमाज से पहले मुस्लिम धर्म में किसी जरूरतमंद के लिए जकात यानी दान किया जाता है।  इस्लाम धर्म के अनुसार हर मुसलमान पर 2.5 प्रतिशत जकात फर्ज है, जो हर मुसलमान रमजान में देता है, जकात में 2.5 किलोग्राम वजन के बराबर की कोई भी खाने पीने की चीजें दान की जा सकती हैं। 

रमजान के दिनों में मस्जिदों में अल्लाह की इबादत से पहले ये हर मुसलमान का फर्ज़ होता है कि वो दान या भिक्षा दें। जिससे वो लोग जो गरीब और मजबूर हैं वे भी अपने परिवार के साथ शाम को रोजा खोल सकें। इसलिए रमजान को आपसी मेल मिलाप का पाक महीना भी कहा जाता है, जकात पूरे रमजान में कभी भी दिया जा सकता है।