Ramnagar ki ramlila 2023 : अंगद ने चूर-चूर किया रावण का अभिमान, राम दूत का पैर तक नहीं हिला सके असुर योद्धा
संवाददाता डा. राकेश सिंह
वाराणसी। रामजी की वानरी सेना कहने को वानरों की थी। इसमें एक से बढ़कर एक शूरवीर थे। हनुमान जी ने तो पहले ही अपनी वीरता से लंका के असुरों नाक में दम कर तिगनी का नाच नचा दिया था। आज जब अंगद की बारी आई तो उन्होंने रावण के हर छोटे बड़े शूरमा को लज्जित तो किया ही रावण का भी मानमर्दन कर डाला। रामनगर की रामलीला के 22वें दिन अंगद विस्तार की लीला हुई।
प्रसंग के मुताबिक आज समुद्र पार करके राम की सेना लंका में प्रवेश करती है। जामवंत की सलाह पर युद्ध टालने के लिए राम ने अंगद को दूत बना कर रावण को समझाने के लिए भेजा। उधर रावण के दूत ने उसे बताया कि राम सेना सहित लंका में प्रवेश कर गए हैं। वह राम की सेना का वर्णन करता है। यह सुनकर वह अपने मंत्रियों से विचार-विमर्श करता है। उसके मंत्री उसको इससे न डरने की सलाह देते हुए कहते हैं कि बानर भालू तो हमारे आहार हैं। राम अपनी सेना के साथ सुवेलगिरी पर्वत पर डेरा डालकर विभीषण से विचार विमर्श करते हैं। रावण अपने विचित्र महल में बैठकर नाच गाना सुनता है। उसी समय राम एक बाण मारते हैं, जिससे उसका छत्र, मुकुट,और कर्णफूल गिर जाते हैं। यह देखकर उसकी सभा डर जाती है। वह सभी से शयन करने के लिए कह कर अपने महल में चला गया।
मंदोदरी रावण को समझाती है कि श्रीराम से बैर मत लो, लेकिन वह उसके औरत होने का मजाक उड़ाता है। राम के कहने पर रावण को समझाने लंका पहुंचे अंगद को रावण उन्हें अपनी सभा में बुलाता है। अंगद ने उसे समझाया कि राम से बैर मत करो और सीता को उनको सौंप दो। वह तुम्हारे अपराध को क्षमा कर देंगे। यह सुनते रावण क्रोध से भर गया। उसके बाद दोनों के बीच जमकर शब्द बाण चलते हैं। रावण अपने वीरों से अंगद को पकड़ने के लिए कहता है तो अंगद ने अपने पैर जमा दिए और भरी सभा में ललकारते हुए कहा कि दम है तो मेरा पांव तुम में से कोई भूमि से उठा दे तो राम बिना युद्ध किए वापस चले जाएंगे। मैं सीता को हार जाऊं। रावण के बड़े से बड़े शूरवीर उनका उठाना तो दूर पांव हिला तक न सके। अंत में हारकर रावण खुद उनका पांव उठाने के लिए उठ खड़ा होता है जिस पर वह कहते हैं कि मेरे नहीं राम के पांव छुओ वही तुम्हारा कल्याण करेंगे। यह कह कर वह राम के पास वापस लौट आते हैं। अंगद राम को सब बात बताते हैं। वह राम से उसके दल का पुरुषार्थ उसकी सेना का वर्णन तथा उसके चारों फाटकों की सुरक्षा के बारे में बताते हैं। यहीं पर आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया।