Ramnagar ki Ramlila : युद्ध में घायल हुआ अजेय रावण, राम-रावण युद्ध के प्रसंग का मंचन देख रोमांचित हुए नेमी
वाराणसी। रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के 24वें दिन गुरुवार को रावण के अंतिम युद्ध की शुरुआत हुई। अपनी पूरी सेना और परिवार को खोने के बाद रावण ने स्वयं युद्ध में उतरने का निर्णय लिया। उसने अपनी बची हुई सेना से कहा कि जो लड़ाई से पीछे हटना चाहता है, वह भाग सकता है, लेकिन मैदान छोड़ने में भलाई नहीं है। रावण ने कहा कि उसने अपनी शक्ति के बल पर दुश्मनी को बढ़ाया है, और अब उसका अंत भी वह स्वयं करेगा।
अहंकार से भरे रावण ने अपशकुनों को नजरअंदाज कर अपने रथ पर सवार होकर रणभूमि की ओर प्रस्थान किया। जैसे ही वानर सेना ने उसे आते देखा, वे तुरंत उसकी सेना पर हमला करने दौड़े। इस बीच, राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया। राम को पैदल युद्ध करते देख विभीषण चिंतित हो गए। उन्होंने राम से पूछा कि वह बिना रथ के युद्ध में कैसे विजय प्राप्त करेंगे। तब राम ने उन्हें समझाया कि उनका रथ धर्म, सत्य, धैर्य, और परोपकार से बना है। ज्ञान और संयम उनके हथियार हैं, और भगवान का भजन उनके रथ का सारथी है। यह सुनकर विभीषण का संदेह दूर हो गया और वे राम के चरणों में गिर पड़े।
युद्ध के दौरान रावण की मार से वानर और भालू सेना व्याकुल हो उठी, जिसे देख लक्ष्मण क्रोधित होकर रावण से युद्ध करने चले गए। रावण ने लक्ष्मण पर बाणों की वर्षा की, जिसे लक्ष्मण ने काट दिया और रावण के रथ को नष्ट कर दिया। रावण क्रोधित होकर ब्रह्मा द्वारा दी गई प्रचंड शक्ति का प्रयोग करता है, जिससे लक्ष्मण घायल होकर गिर पड़े।
रावण ने लक्ष्मण को उठाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। तभी हनुमान दौड़े और रावण ने उन पर प्रहार किया, परंतु हनुमान ने पलटकर रावण को एक जोरदार घूंसा मारा, जिससे वह भी मूर्छित होकर गिर पड़ा। होश में आने के बाद रावण ने हनुमान के बल की प्रशंसा की। राम के निर्देश पर लक्ष्मण उठ खड़े हुए और उन्होंने रावण के रथ को नष्ट कर दिया। घायल रावण को उसका सारथी लंका ले गया, जहां वह यज्ञ करने लगा। इसके बाद भगवान की आरती कर लीला का समापन हुआ।