Ramnagar ki Ramleela: रामलीला के 19वें दिन हनुमान जी ने तोड़ा रावण का अभिमान, जिस लंका पर था गर्व, उसे जलाकर कर दिया राख, मां सीता के दर्शन पाकर हुए व्याकुल

 

वाराणसी। रामनगर की रामलीला के 19वें दिन शनिवार को लंका दहन और सीता दर्शन की भावपूर्ण लीला का मंचन किया गया, जिसमें हनुमान जी की वीरता और चतुराई ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही रावण सीता को धमका कर चला जाता है, हनुमान जी अग्नि रूपी मुद्रिका को सीता के समक्ष गिराते हैं। रामकथा की आकाशवाणी के बाद, सीता के कहने पर हनुमान जी उनके सामने प्रकट होते हैं और राम का संदेश देते हुए अपना परिचय देते हैं।

हनुमान जी ने सीता की आज्ञा लेकर अशोक वाटिका में भोजन करने के बाद पूरे वाटिका को तहस-नहस कर दिया। राम का आशीर्वाद पाकर उन्होंने समुद्र की 100 योजन की दूरी मिनटों में पार कर ली। सुरसा को अपनी चतुराई से चौंकाया और सोने की लंका, जिस पर रावण को बड़ा गर्व था, को जला कर राख कर दिया।

लीला के प्रसंगानुसार, मैनाक पर्वत पर चढ़ने से पर्वत धंस गया। सुरसा, हनुमान जी को देखकर कहती है कि देवताओं ने उन्हें अच्छा आहार भेजा है, परंतु हनुमान जी की चालाकी से प्रभावित होकर उन्हें जाने देती है। मच्छर का रूप धारण कर हनुमान लंका में प्रवेश करते हैं और लंकिनी को एक घूंसा मारते हैं, जिससे वह समझ जाती है कि राक्षसों का विनाश निकट है। विभीषण से मिलकर हनुमान को सीता का पता चलता है, जो अशोक वाटिका में रहती हैं।

रावण के चले जाने के बाद, हनुमान जी सीता को राम की अंगूठी देकर धीरज बंधाते हैं। अशोक वाटिका में भारी तबाही मचाने पर रावण का पुत्र अक्षय कुमार हनुमान जी से युद्ध में मारा जाता है। इसके बाद मेघनाद ब्रह्मास्त्र से हनुमान को पकड़कर रावण के सामने ले जाता है। रावण, हनुमान की पूंछ में आग लगवाता है, जिससे क्रोधित होकर हनुमान पूरी लंका जला डालते हैं। अंत में, सीता से चूड़ामणि लेकर वापस राम के पास पहुंचते हैं और उन्हें सारा समाचार सुनाते हैं, जिससे राम हर्षित होकर हनुमान को गले से लगा लेते हैं।

आरती के बाद लीला को विश्राम दिया गया, जिससे उपस्थित जनमानस हनुमान जी की वीरता और रामभक्ति से अभिभूत हुए।