रामलला का चित्र बनाने वाले काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित, महामहिम ने काशी के रामलीला के बारे में भी ली जानकारी

 
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा गुरुवार को विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा को अंगवस्त्रम एवं पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। डॉ. विश्वकर्मा को यह सम्मान राष्ट्रपति भवन में आयोजित आर्ट इन रेजिडेंस कार्यक्रम में बतौर अतिथि प्रतिभाग करने के लिए दिया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने डॉ. विश्वकर्मा को अंगवस्त्रम एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। 21 से 27 फरवरी 2024 तक चित्रों का निर्माण एवं प्रदर्शनी में डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा सहित देश के जाने-माने 13 कलाकारों को बुलाया गया था। 


इस दौरान डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यशाला में सभी कलाकारों को दो-दो चित्र का निर्माण करना था। राष्ट्रपति भवन के लिए सभी कलाकारों को घर से चार-चार चित्र बनाकर लाना भी था। सभी चित्रों को राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित किया गया। बताया कि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सबसे ज्यादा रामानंद आचार्य, कबीर दास, राय दास के ऊपर समरसता विषय पर चित्र पसंद आया, जिसे राष्ट्रपति को व्यक्तिगत संग्रह के लिए इन्होंने भेंट कर दी। इस अवसर पर काशी के रामलीला विषय पर बनाए गए चित्र को देखकर महामहिम ने बड़े उत्साह से पूछताछ की, क्या वहां अभी भी बिना लाईट के कार्यक्रम होता है। राष्ट्रपति ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्रम एवं प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। 

इतिहास में पहली बार ऐसा कार्यक्रम

डॉ. विश्वकर्मा ने बताया कि भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि राष्ट्रपति भवन ने देश के 13 प्रसिद्ध कलाकारों को सम्मानित एवं आर्ट इन रेजिडेंस कार्यक्रम में आयोजन के लिए बुलाया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. लक्ष्मण प्रसाद, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय दिल्ली, मनीष कुमार गौड, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल धर्मशाला आदि ने भाग लिया।

बता दें कि अयोध्या में प्रतिष्ठित रामलला की प्रतिमा को डॉ० सुनील कुमार विश्वकर्मा ने ही चित्रित किया था। जिसे कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने मूर्त रूप दिया।