किसानों के लिए संजीवनी साबित हो रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,  काशी में क्षतिपूर्ति के रूप में 17 हजार किसानों को दिए गये इतने करोड़ रुपए

 
-    प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में क्षतिपूर्ति के रूप में 17242 किसानों को दिए जा चुके 879.4 लाख रुपये

-    खरीफ की फसल में 2 प्रतिशत और रबी की फसल में किसानों को 1.5 प्रतिशत का भुगतान किया जाता 


वाराणसी। किसानों की खून पसीने की कमाई कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं की भेंट चढ़ जाती है। ऐसी आपदा से किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर जाता है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। ऐसे किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है, जो संजीवनी साबित हो रही है। प्राकृतिक आपदा से हुई फसल के नुकसान पर पीड़ित किसानों को मिलने वाली वित्तीय सहायता उनके लिए बड़ी मददगार साबित हो रही है। योगी सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर किसान पाठशाला के माध्यम से अन्नदाताओं को फ़सल बीमा योजना के बारे में जागरूक भी कर रही है।

प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना किसानों के लिए जीवनदायिनी बनी है। फसल खराब होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा क्षति पूर्ति की राशि पीड़ित किसानों के खाते में सीधे भेजी जा रही है।  जिलाकृषी अधिकारी संगम सिंह ने बताया कि वाराणसी में पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग 2,67,000 है। वर्ष 2017 से 2023 तक जनपद में करीब 1,45,499 कृषकों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अपनी फसल का बीमा कराया है। जनपद के किसानों की लगभग 68955.97 हेक्टेयर क्षेत्रफल की कृषित भूमि इस योजना के अंतर्गत आच्छादित है। जनपद के लगभग 17242 किसानों को क्षतिपूर्ति का लाभ मिल चुका है। ख़राब हुई फसल के एवज में किसानों को करीब 879.4लाख की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दी जा चुकी है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमित राशि का इंश्योरेंस प्रीमियम का खरीफ की फसल में दो और रबी की फसल में किसानों को 1.5 प्रतिशत राशि देनी होती है, शेष राशि सरकार वहन करती है। प्रतिकूल मौसमी स्थिति से अधिसूचित फसलों को क्षति होने की स्थिति में बीमित कृषकों को बीमा कवर क्षतिपूर्ति प्रदान किया जाता है। फसल की बोआई न कर पाना, बोआई का सफल न होना, फसल की मध्यावस्था में क्षति, खड़ी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कीटों से क्षति, ओलावृष्टि, जलभराव, बादल फटना, भूस्खलन, बिजली गिरने से क्षति, फसल कटाई के उपरांत आगामी 14 दिन की अवधि तक खेत में सुखाई हेतु रखी हुई फसल को ओलावृष्टि, चक्रवात, बेमौसम, चक्रवाती वर्षा से नुकसान की जोखिम को कवर किया गया है। यह योजना स्वैच्छिक आधार पर लागू की गई है।