काशी और रामेश्वरम के मध्य तीर्थ जल आदान-प्रदान परंपरा का हुआ शुभारंभ, आध्यात्मिक एकता की ऐतिहासिक पहल

सनातन धर्म की आस्था और परंपराओं को सजीव रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, काशी और रामेश्वरम के बीच पवित्र तीर्थ जल के आदान-प्रदान की परंपरा का औपचारिक शुभारंभ किया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच आध्यात्मिक समन्वय को सुदृढ़ करने वाला ऐतिहासिक क्षण भी है।
 

वाराणसी। सनातन धर्म की आस्था और परंपराओं को सजीव रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, काशी और रामेश्वरम के बीच पवित्र तीर्थ जल के आदान-प्रदान की परंपरा का औपचारिक शुभारंभ किया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच आध्यात्मिक समन्वय को सुदृढ़ करने वाला ऐतिहासिक क्षण भी है।

 

श्रावण मास के पावन तृतीय सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर में इस पवित्र परंपरा की विधिवत शुरुआत की गई। इस अवसर पर त्रिवेणी संगम प्रयागराज का पवित्र जल और रेत भगवान श्री विश्वेश्वर के समक्ष समर्पित की गई। तत्पश्चात एक विशेष समारोह के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर मा. योगी आदित्यनाथ जी ने अपने करकमलों से यह तीर्थ जल एवं रेत, श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के प्रतिनिधियों देवकोट्टई जमींदार परिवार न्यास के सीआरएम अरुणाचलम एवं कोविलूर स्वामी को विधिपूर्वक सौंपा।

 

यह नवाचार शास्त्रों में वर्णित उस परंपरा को पुनर्स्थापित करता है जिसमें त्रिवेणी संगम का पवित्र जल रामनाथस्वामी के अभिषेक में प्रयुक्त होता है। रामेश्वरम कोडी तीर्थम से प्राप्त जल श्री काशी विश्वनाथ को समर्पित किया जाता है। इसी क्रम में रामेश्वरम सागर तट की रेत को प्रयाग की रेत में मिलाने की परंपरा का भी शास्त्रीय महत्त्व है।

इस प्रयास की पृष्ठभूमि में AL. AR. KATTALAI ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री सी.आर. अरुणाचलम द्वारा दिनांक 19 जून 2025 को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को भेजा गया पत्र था, जिसमें उन्होंने शताब्दियों पुरानी परंपरा की निरंतरता हेतु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम का जल रामनाथस्वामी मंदिर तक पहुंचाने हेतु अनुरोध किया। उन्होंने साथ ही यह भी प्रस्ताव रखा कि हर माह रामेश्वरम कोडी तीर्थम से प्राप्त जल काशी मंदिर के अभिषेक हेतु प्रेषित किया जाएगा।

इस प्रस्ताव पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की कार्यपालक समिति द्वारा सहर्ष सहमति दी गई, और दिनांक 3 जुलाई 2025 को इसकी औपचारिक पुष्टि की गई। इसके बाद 27 जुलाई को डिप्टी कलेक्टर एवं मंदिर न्यास के प्रतिनिधियों द्वारा प्रयागराज में वैदिक विधि से संगम जल एवं रेत का संग्रह किया गया। इस दौरान प्रयागराज जिला प्रशासन, मेले के अधिकारी, संतसमाज और सैन्य आयुध भंडार के अधिकारी भी उपस्थित रहे।


यह जल रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में श्रावण मास के पूजन-अभिषेक हेतु प्रयुक्त किया जाएगा, वहीं रामेश्वरम से आने वाले तीर्थ जल से श्रावण पूर्णिमा के दिन श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक सम्पन्न होगा। यह आयोजन उत्तर-दक्षिण भारत के तीर्थ स्थलों काशी, प्रयागराज और रामेश्वरम के बीच धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता का एक दिव्य सेतु बनकर उभरा है। यह परंपरा भविष्य में भारत की आध्यात्मिक चेतना को और अधिक एकसूत्र में बांधने का कार्य करेगी।

कार्यक्रम में मंत्रीगण, वाराणसी के जनप्रतिनिधि, महापौर, प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य एवं पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, मंडलायुक्त वाराणसी, जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त एवं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं अधिकारी उपस्थित रहे।