Navratra 2024 : पांचवें दिन स्कंदमाता के दर्शन को लगी कतार, सद्बुद्धि और समृद्धि का मिलता है आशीर्वाद
वाराणसी। शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है। वाराणसी के जैतपुरा में मां स्कंदमाता विद्यमान हैं, जहां उनका भव्य और प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। सैकड़ों वर्षों से यह मंदिर भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। भोर से ही माता के दर्शन को भक्तों की कतार लगी है। माता की जय-जयकार गूंज रही है।
नवरात्र के दिनों में विशेष रूप से यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मां बागेश्वरी को विद्या और ज्ञान की देवी माना जाता है, इसलिए इस दिन यहां बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। मां स्कंदमाता के इस रूप की पूजा करने से विद्या, सद्बुद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां बागेश्वरी को चुनरी के साथ लाल अड़हुल (गुड़हल) के फूलों की माला और मिष्ठान्न का भोग लगाया जाता है। भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था से मां की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस मंदिर में विशेष रूप से नवरात्र के दिनों में पूजा-अर्चना का महत्व और भी बढ़ जाता है, और भक्तों की मान्यता है कि इन दिनों में मां के दर्शन और पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
वाराणसी का यह ऐतिहासिक मंदिर, अपने अनूठे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण, श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। नवरात्र के दौरान यहां की धार्मिक गतिविधियां और कार्यक्रम और भी भव्य रूप में आयोजित किए जाते हैं। मां स्कंदमाता के बागेश्वरी रूप में यहां श्रद्धालुओं को न सिर्फ धार्मिक संतोष मिलता है, बल्कि जीवन में उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में भी उनका मार्ग प्रशस्त होता है।