काशी की परिक्रमा करेंगे नागा सन्यासी, पांच दिन में पूरी करेंगे 75 किलोमीटर की पंचकोशी यात्रा 

महाकुंभ के बाद काशी पहुंचे श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधु सन्यासी पंचकोशी यात्रा करेंगे। पांच दिनों में 75 किलोमीटर की यात्रा कर काशी की परिक्रमा करेंगे। इसको लेकर अखाड़े के पदाधिकारियों ने शिवाला स्थित स्थल पर बैठक की। इसमें यात्रा को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। 
 

वाराणसी। महाकुंभ के बाद काशी पहुंचे श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधु सन्यासी पंचकोशी यात्रा करेंगे। पांच दिनों में 75 किलोमीटर की यात्रा कर काशी की परिक्रमा करेंगे। इसको लेकर अखाड़े के पदाधिकारियों ने शिवाला स्थित स्थल पर बैठक की। इसमें यात्रा को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। 

उन्होंने बताया कि 75 किलोमीटर की यात्रा पांच मार्च को शुरू होगी और पांचों पड़ाव से होते हुए पांच दिन में पूरी होगी। पांचों पड़ाव के देवस्थलों पर दर्शन-पूजन करेंगे। काशी में कहा जाता है कि पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत त्रेता युग से हुई थी। धार्मिक ग्रंथों में पंचक्रोशी यात्रा का बहुत महत्व बताया गया है। त्रेता युग में भगवान राम ने अपने तीनों भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न और पत्नी के सीता के साथ काशी में पंचक्रोशी यात्रा की थी। भगवान राम ने स्वयं रामेश्वरम मंदिर में शिवलिंग स्थापित किया था। उन्होंने यह यात्रा अपने पिता राजा दशरथ को श्रवण कुमार के माता-पिता के श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए की थी। दूसरी बार पंचक्रोशी परिक्रमा श्रीराम ने तब की थी, जब रावण वध करने से उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा था। उस दोष से मुक्ति के लिए प्रभु ने पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ परिक्रमा की थी। द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञावास के दौरान ये यात्रा द्रौपदी के साथ की थी। 

पंचक्रोशी यात्री का पहला पड़ाव कर्दमेश्वर है। इसके बाद दूसरा पड़ाव भीमचंडी है। भीमचंडी के बाद तीसरे पड़ाव भीमचंडी रामेश्वर और फिर वहां से शिवपुर जाने के बाद यात्रा के अंतिम पड़ाव कपिलधारा जाएंगे। कपिलधारा से दोबारा मणिकर्णिका घाट पर जाकर यात्रा समाप्त होगी। श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के रमेश गिरी महाराज ने बताया कि श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़े के साधु सन्यासी ही काशी में अब तक पंचक्रोशी परिक्रमा करते चले आ रहे हैं। हालांकि इस बार निरंजनी अखाड़े के साधु संत भी परिक्रमा करने की योजना बना रहे हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि हमारे महामंडलेश्वर भी काशी आने की योजना बना रहे है। उसके बाद ही हम लोग अपने परिक्रमा की शुरुआत करेंगे। 

रमेश गिरी महाराज ने बताया कि शिवाला स्थित अखाड़े से साधु-संत मणिकर्णिका तीर्थ पर पहुंचेंगे। कूपजल से संकल्प लेकर उनकी पंचकोसी यात्रा मणिकर्णिका से निकलकर ये प्रथम पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेंगे। यहां दर्शन-पूजन के बाद विश्राम करेंगे। अगले दिन भीमचंडी के लिए रवाना होंगे। इसी तरह रामेश्वर महादेव मंदिर, पांचों पंडाव और अंतिम पड़ाव कपिलधारा पहुंचकर यात्रा पूरी करेंगे। रोजाना पांच कोस चलेंगे यानी 15 किमी पैदल चलेंगे। उन्होंने बताया कि श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा दोनों की एक साथ यात्रा शुरू होगी। हमारी संख्या 500 से अधिक होंगी। उन्होंने कहा कि मणिकर्णिका का स्नान करने के बाद ज्ञानवापी का संकल्प भी लेंगे उसके बाद बाबा विश्वनाथ का दर्शन करते हुए हम सभी अपनी यात्रा शुरू कर देंगे। उन्होंने बताया कि हमने सरकार से अनुरोध किया है की मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त कर दिया जाए। यह यात्रा पूरी होने के बाद एक गोष्ठी होगी, जिसमें सभी को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके बाद सन्यासी अपने-अपने साधना स्थल प्रस्थान करेंगे।