नगर निगम ने अन्नपूर्णा मठ मंदिर को जर्जर बताकर जारी कर दी खाली करने की नोटिस, बाद में कहा, गलती हो गई 

चौक इलाके में दो जर्जर मकानों के गिरने से महिला की मौत और आधा दर्जन से अधिक के घायल होने की घटना के बाद नगर निगम प्रशासन एक्टिव हो गया है। शहर में जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर खाली करने का आदेश दिया जा रहा है। इसी क्रम में नगर निगम प्रशासन ने अन्नपूर्णा मठ मंदिर को भी खाली करने के लिए नोटिस जारी कर रही। इस पर महंत ने आपत्ति जताई तो नगर निगम प्रशासन बैकफुट पर आ गया। नगर निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया कि नोटिस भेजने में गलती हो गई। 
 

वाराणसी। चौक इलाके में दो जर्जर मकानों के गिरने से महिला की मौत और आधा दर्जन से अधिक के घायल होने की घटना के बाद नगर निगम प्रशासन एक्टिव हो गया है। शहर में जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर खाली करने का आदेश दिया जा रहा है। इसी क्रम में नगर निगम प्रशासन ने अन्नपूर्णा मठ मंदिर को भी खाली करने के लिए नोटिस जारी कर रही। इस पर महंत ने आपत्ति जताई तो नगर निगम प्रशासन बैकफुट पर आ गया। नगर निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया कि नोटिस भेजने में गलती हो गई। 

अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार बिना किसी सर्वे के नोटिस जारी कर दिया गया था। नगर निगम के कर्मचारियों ने अन्नपूर्णा मंदिर के गेट पर नोटिस चस्पा कर दी। इसके बाद विवाद हो गया। पूर्व और वर्तमान महंत को संबोधित नोटिस में कहा गया था कि आपका भवन अत्यंत जर्जर हो चुका है, जो कभी भी गिर सकता है। इससे जान-माल की क्षति हो सकती है। इस संबंध में पहले भी नोटिस भेजी जा चुकी है। नोटिस मिलने के 24 घंटे के अंदर जर्जर भवन को खाली कर दें। 

महंत ने बताया कि अन्नक्षेत्र का निर्माण 1998 में कराया गया था। पूरा भवन बीम और पिलर पर निर्मित है। अन्नपूर्णा मंदिर प्राचीन है, लेकिन 1990 में उसकी मरम्मत कराई गई थी। मछ के प्रबंधक काशी मिश्रा ने कहा कि बिना किसी सर्वे के नोटिस जारी कर दी गई। यह नगर निगम प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। अधिकारियों ने कहा कि पहले नोटिस भेजी गई थी, लेकिन भवन की स्थिति ठीक पाए जाने पर इसे वापस ले लिया गया।