वाराणसी के सेंट मैरी कैथेड्रल में क्रिसमस नाइट 24 दिसंबर को, शांति के लिए विशेष प्रार्थना होगी आयोजित, बिशप यूजिन जोसफ ने दिया शांति संदेश
वाराणसी। क्रिसमस के पावन अवसर पर वाराणसी के कैथोलिक धर्मप्रांत की ओर से समस्त नागरिकों को ख्रीस्त जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं और आशा, शांति एवं सौहार्द से परिपूर्ण नए वर्ष 2026 की मंगलकामनाएं दी गई हैं। इस अवसर पर धर्मप्रांत के बिशप फादर यूजिन जोसफ ने कहा कि “पृथ्वी पर लोगों के लिए शांति मिले” के संदेश को केंद्र में रखते हुए प्रभु यीशु मसीह के जन्म के आध्यात्मिक और मानवीय महत्व को रेखांकित किया।
प्रभु यीशु का जन्म यह स्मरण कराता है कि परमेश्वर हर मनुष्य के निकट हैं, विशेषकर उन लोगों के जो कमजोर, वंचित और संघर्षरत हैं। ख्रीस्तमस का पर्व हमें इम्मानुएल “ईश्वर हमारे साथ” के अर्थ से जोड़ता है, जिसमें प्रभु मानव जीवन के बीच प्रवेश कर हर परिवार की पीड़ा, आशा और संघर्ष को साझा करते हैं, जो सुरक्षा, आजीविका और सम्मान के लिए प्रयासरत है।
धर्मप्रांत ने यह भी कहा कि आज की दुनिया युद्ध, विस्थापन, आर्थिक अस्थिरता और पर्यावरणीय संकट से जूझ रही है। ऐसे समय में बेथलेहम में जन्मे विनम्र बालक यीशु गरीबों और संपूर्ण सृष्टि के प्रति परमेश्वर की निकटता का प्रतीक हैं। यह पवित्र पर्व वाराणसी सहित सभी स्थानों के लोगों को उदासीनता से ऊपर उठने, घृणा और विभाजन को अस्वीकार करने तथा सभी धर्मों और समुदायों के बीच करुणा, संवाद और मेलजोल को मजबूत करने का आह्वान करता है।
वाराणसी की कलीसिया विश्वभर के ईसाई समुदायों के साथ मिलकर प्रार्थना, सादगी और जिम्मेदारी की भावना के साथ क्रिसमस की तैयारी कर रही है। शहर के विभिन्न गिरजाघरों में पालना (नैटिविटी सीन) सजाए गए हैं, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शनार्थियों का स्वागत किया जा रहा है। मुख्य क्रिसमस नाइट मिस्सा 24 दिसंबर 2025 को रात 10:30 बजे सेंट मैरी कैथेड्रल में आयोजित की जाएगी, जहां देश और पवित्र काशी नगरी में शांति, न्याय और सद्भाव के लिए विशेष प्रार्थनाएं की जाएंगी।
यह भी बताया गया कि कैथोलिक समुदाय अपनी आस्था को सेवा कार्यों के माध्यम से साकार करता है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और कैदियों के दर्शन के जरिए जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाई जाती है। बच्चों और युवाओं, दिव्यांगों, बीमारों, वृद्धों तथा अकेलेपन का अनुभव कर रहे लोगों की विशेष देखभाल की जाती है, ताकि पर्व के समय कोई भी स्वयं को उपेक्षित न महसूस करे।
इसी एकजुटता की भावना को आगे बढ़ाते हुए धर्मप्रांत ने सभी समुदायों के स्वयंसेवकों और सहयोगियों को इन सेवा पहलों में सहभागी बनने का आमंत्रण दिया है। इन प्रयासों के अंतर्गत पूर्वांचल के दिव्यांगजनों के साथ एक विशेष कार्यक्रम 2 जनवरी को सेंट जॉन स्कूल, बीएलडब्ल्यू में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन समाज के ‘सबसे कम’ माने जाने वालों के लिए दया, सम्मान और आशा का संदेश लेकर आएगा।
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