काशी में राममय हुई मकर संक्रांति, आकाश में उड़ती पतंगे दे रहीं रामचरित मानस का संदेश, अंकित हैं चौपाइयां
वाराणसी। महादेव की काशी इस समय राम के रंग में रंगी नजर आ रही है। मकर संक्रांति पर भी इसका असर दिखा। आसमान में उड़ती पतंगें रामचरित मानस का संदेश दे रही हैं। पतंगों पर मानस की चौपाइयां अंकित हैं। मुहुर्त के अनुसार मकर संक्रांति सोमवार को होगी, लेकिन एक दिन पहले रविवार को भी आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से पटा नजर आया।
वाराणसी की बनी पतंगे की खास पहचान होती है। वाराणसी के पतंग कारीगर हर साल नई डिजाइन की पतंगे बनाकर पतंगबाजों का ध्यान खींचने का प्रयास करते हैं। इस साल अनूठी मिसाल कायम करते हुए बच्चों ने पतंगबाजों के लिए खास तौर पर पतंग तैयार की थी, जिसमें पहले से तैयार पतंगों पर राम मंदिर, अयोध्या की प्रतिकृति के साथ ही रामचरितमानस की चौपाई को लिपिबद्ध किया। आकाश में उड़ते हुए पतंगों ने लोगों को खास संदेश दिया। पतंगों पर विद्या प्राप्ति के लिए 'गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई, अल्पकाल विद्या सब आई', ज्ञान प्राप्ति के लिए 'छिति जल पावक गगन समीरा, पंचरचित अति अधम शरीरा', विपत्ति से रक्षा के लिए 'राजिव नयन धरैधनु सायक, भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक' चौपाइयां लिखी हुई थी। मानस की चौपाइयां लिखी पतंग तैयार करने वाले ये बच्चें कभी शहर के फुटपाथ चौराहों पर भीख मांगते थे, लेकिन आज के दौर में उर्मिला देवी मेमोरियल सोसाइटी द्वारा संचालित पाठशाला में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
सबसे खास बात यह है कि मजहब की दीवार को तोड़कर हिन्दू-मुस्लिम बच्चों ने न सिर्फ रामचरितमानस की चौपाई वाली पतंग तैयार किया, बल्कि पाठशाला में एक साथ संस्कृत के श्लोक के साथ वेदों का पाठ भी करते हैं। 22 जनवरी रामलला प्राण प्रतिष्ठा के दिन हवन-पूजन यज्ञ अनुष्ठान के साथ दीपोत्सव की तैयारी में भी लगे हुए हैं। संस्था की निदेशिका प्रतिभा सिंह ने बताया कि कहते हैं जिस घर में रामचरितमानस का पाठ होता है वहां कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती। कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनसे मनचाही कामनाएं पूरी हो जाती हैं।