गलियों में काशीवासियों को दर्शन देने निकलेंगी मां मणिकर्णिका, चक्रपुष्करिणी कुंड पर होंगी विराजमान

अक्षय तृतीया पर काशीवासियों को दर्शन देने के लिए मां मणिकर्णिका गलियों में निकलेंगी। मां की प्राचीन प्रतिमा को पालकी पर सवार कराकर महंत आवास से चक्रपुष्करिणी कुंड तक लाया जाएगा। इस दौरान मां के दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। 
 

वाराणसी। अक्षय तृतीया पर काशीवासियों को दर्शन देने के लिए मां मणिकर्णिका गलियों में निकलेंगी। मां की प्राचीन प्रतिमा को पालकी पर सवार कराकर महंत आवास से चक्रपुष्करिणी कुंड तक लाया जाएगा। इस दौरान मां के दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। 

काशी के प्राचीन तीर्थ चक्रपुष्करिणी पर अक्षय तृतीया पर रात में मां मणिकर्णिका का वार्षिक श्रृंगार किया जाएगा। मणिकर्मिका मां की सवारी ब्रह्मनाल स्थित तीर्थ पुरोहित जयेंद्रनाथ दुबे बब्बू महाराज के आवास से निकलेगी। रात में मणिकर्णिका माई की अष्टधातु वाली ढाई फीट ऊंची प्रतिमा तीर्थ कुंड में पीतल के आसन पर स्थापित की जाएगी। इसके बाद देवी की फूलों व नए वस्त्रों से झांकी सजाई जाएगी। 

रात भर भजन-कीर्तन के बाद 11 मई को मध्याह्न में चक्र पुष्करणी कुंड में स्नान होगा। प्रधान तीर्थ पुरोहित जयेंद्रनाथ दुबे बब्बू महाराज ने बताया कि इस तिथि पर चक्रपुष्करिणी कुंड में स्नान करने मात्र से ही व्यक्ति को चारों धाम का फल प्राप्त होता है। 

ऐसी मान्यता है कि मणिकर्णी माता की अष्टधातु की प्रतिमा मणिकर्णिका कुंड से ही निकली थी। यह प्रतिमा वर्ष भर ब्रह्मनाल स्थित मंदिर में विराजमान रहती है। सिर्फ अक्षय तृतीया को पालती पर सवार होकर दर्शन-पूजन के लिए कुंड में स्थापित की जाती हैं। देवी प्रतिमा को कुंड में स्नान कराया जाता है। इसके बाद सवारी निकलती है।