सिंहासन पर विराजे नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ, भक्तों को दे रहे दर्शन

नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ बुधवार को रथ पर विराजे। मंगला आरती के साथ ही प्रभु के दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हो गया। प्रभु भक्तों के प्रेम में बीमार पड़ने के बाद 15 दिनों तक अज्ञातवास में रहे। वहीं तीन दिनों तक रथयात्रा मेले में रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देते रहे। मंगलवार को बनारस के लक्खा मेलों में शुमार रथयात्रा मेला का समापन हो गया। प्रभु 18 दिनों बाद आज सिंहासन पर विराजमान हुए। पंचामृत स्नान और मंगला आरती के साथ धाम में प्रभु के दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हो गया। 
 

- तीन दिन रथ पर रहे प्रभु, रथयात्रा मेले में उमड़ा भक्तों का सैलाब 
- भक्तों के प्रभु का किया दर्शन-पूजन, सुख-समृद्धि का मांगा आशीर्वाद 
- भक्तों के प्रेम में बीमार पड़ने पर 15 दिन अज्ञातवास में रहे प्रभु 

वाराणसी। नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ बुधवार को रथ पर विराजे। मंगला आरती के साथ ही प्रभु के दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हो गया। प्रभु भक्तों के प्रेम में बीमार पड़ने के बाद 15 दिनों तक अज्ञातवास में रहे। वहीं तीन दिनों तक रथयात्रा मेले में रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देते रहे। मंगलवार को बनारस के लक्खा मेलों में शुमार रथयात्रा मेला का समापन हो गया। प्रभु 18 दिनों बाद आज सिंहासन पर विराजमान हुए। पंचामृत स्नान और मंगला आरती के साथ धाम में प्रभु के दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हो गया। 

ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि यानी 22 जून को भगवान जगन्नाथ अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भक्तों ने प्रभु को 14 घंटे तक गंगाजल से लगातार स्नान कराया। इससे प्रभु बीमार हो गए और मंदिर में ही विश्राम के लिए चले गए। पुजारी राधेश्याम पांडेय ने बताया कि 15 दिनों तक सिंहासन छोड़कर प्रभु अज्ञातवास में रहे। प्रभु 6 जुलाई को डोली में सवार होकर शहर की गलियों में भ्रमण पर निकले। 

तीन दिनों तक चले रथयात्रा मेले का मंगलवार की शाम समापन हो गया। रात में तीन बजे के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को अस्सी स्थित मंदिर लाया गया और सिंहासन पर विराजमान कराया गया। सुबह पांच बजे पंचामृत स्नान कराकर नए वस्त्र धारण कराए गए। मंगला आरती के साथ प्रभु के दर्शन-पूजन का क्रम शुरू हो गया। वहीं रथ सिगरा के शहीद उद्यान स्थित रथशाला में भेज दिया गया।