लोकसभा चुनाव 2024 : एक बार फिर बनारस ही होगा सरगर्मी का केंद्र, पक्ष-विपक्ष सबकी नजरें पूर्वांचल पर

 

वाराणसी। लोकसभा चुनाव में चंद महीने शेष बचे हैं। सभी राजनीतिक पार्टियों ने इसके लिए कमर कस ली है। देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के वोट को बेहद खास माना जाता है। पिछले कई लोकसभा चुनावों के नतीजे पर गौर करें तो लोकसभा के चुनाव में बनारस और आसपास के जिलों के वोट का काफी खास महत्व है। इस दौरान सभी पार्टियों की नजर पूर्वांचल की सबसे खास सीट बनारस पर है।

इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को वाराणसी आ रहे हैं। प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान 43वीं बार वाराणसी आ रहे हैं। प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के प्रचार का शंखनाद करेंगे। इस दौरान वह कई परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी करेंगे। वहीं पीएम मोदी काशी तमिल संगमम के दूसरे फेज का शुभारंभ भी करेंगे। इस संगमम का उद्देश्य दक्षिण और उत्तर भारत के संबंधों को और मजबूती प्रदान करना है। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम के जरिए मोदी अपनी बात दक्षिण के लोगों तक पहुंचाएंगे।

दूसरी ओर विपक्षी दल भी बनारस की जनता के वोट पाने के लिए जद्दोजहद में लगा हुआ है। विपक्षी दलों की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने वाराणसी के रहने वाले अजय राय को यूपी का प्रभारी बनाया है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो अजय राय की बनारस समेत पूर्वांचल में अच्छी घुसपैठ है। जिस कारण कांग्रेस को अच्छे वोट मिलने के आसार हैं।

इधर बनारस में विपक्षी दलों के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच 24 दिसंबर को वाराणसी आने की चर्चाएं तेज हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार वाराणसी के रोहनिया विधानसभा से लोकसभा चुनाव का प्रचार करेंगे और यहीं पर अपनी पहली सभा भी करेंगे। इस बीच जनसभा में नीतीश कुमार बिहार मॉडल को जनता के बीच रखेंगे और बीजेपी के गुजरात और उत्तर प्रदेश मॉडल की कमियां जनता को बताएंगे। चूंकि नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं, तो उन्होंने भी अपनी जनसभा के लिए वाराणसी के कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र रोहनिया विधानसभा को चुना है। बताया जा रहा है कि बनारस से नीतीश कुमार पूर्वांचल के कुर्मी वोटों पर अपना दावा करेंगे।

दूसरी ओर विपक्षी दलों के गठबंधन के कई नेताओं के भी बनारस आने की खबर हैं। सूत्रों के अनुसार, चुनाव की घोषणा होते ही विपक्षी दल के कई बड़े नेता बनारस आ सकते हैं। सभी राजनीतिक दलों के नेता बनारस से ही पूर्वांचल साधने की कोशिश करेंगे। अब क्योंकि विपक्षी दल के कई नेता बनारस आने की तैयारी में है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि विपक्षी गठबंधन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में उन्हें चुनौती देने में लगा हुआ है।