काशी से अयोध्या जाएगा राम दरबार, सबसे पहले विराजेगा लंकेश का परिवार 

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले काशी में तैयार राम दरबार में अयोध्या भेजा जाएगा। रघुनंदन की अंगनाई में सबसे पहले लंकेश का परिवार ही विराजेगा। 15 दिसंबर तक रामचरित मानस को जीवंत करने वाले पात्रों के मुखौटे व मूर्तियों को अयोध्या भेजने का सिलसिला शुरू होगा। अयोध्या के संग्रहालय में लकड़ी से बने पात्रों से रामायण को जीवंत करने की पहल की जा रही है।
 

वाराणसी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले काशी में तैयार राम दरबार में अयोध्या भेजा जाएगा। रघुनंदन की अंगनाई में सबसे पहले लंकेश का परिवार ही विराजेगा। 15 दिसंबर तक रामचरित मानस को जीवंत करने वाले पात्रों के मुखौटे व मूर्तियों को अयोध्या भेजने का सिलसिला शुरू होगा। अयोध्या के संग्रहालय में लकड़ी से बने पात्रों से रामायण को जीवंत करने की पहल की जा रही है।

संग्रहालय में बिस्तर पर लेटे कुंभकर्ण की मूर्ति सबसे पहले स्थापित होगी। इसके बाद लंका पति रावण और मेघनाद के मुखौटे लगाए जाएंगे। सबसे बड़ी मूर्ति कुंभकर्ण की तैयार की गई है। उसे खाद्य सामग्रियों व शोर के बीच दर्शाया गया है। मानस के प्रसंग के अनुसार कुंभकर्ण छह माह सोता और छह माह जागता था। इसलिए उसे सोई हुई मुद्रा में दिखाया गया है। 

भगवान राम से बड़ी मूर्ति रावण की 
राम दरबार में भगवान राम से बड़ी मूर्ति रावण की है। राम की मूर्ति 18/8 इंच और राम की मूर्ति 36/24 इंच की है। मुखौटों व मूर्तियों में भाव को दर्शाने का भी प्रयास किया गया है। ताकि देखने वालों की आंखों के समक्ष रामायण का प्रसंग जीवंत हो उठे।