काशी तमिल संगमम 4.0 : तीसरा दल पहुंचा वाराणसी, स्टेशन पर हुआ भव्य स्वागत, तमिल लेखक विभिन्न कार्यक्रमों में करेंगे शिरकत 

काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से चल रहे ‘काशी तमिल संगमम 4.0 में दक्षिण भारत से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों का आगमन लगातार जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को तमिलनाडु से लेखकों का तीसरा दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। स्टेशन पर उतरते ही उनका स्वागत जिस भव्यता से किया गया, उसने काशी की आत्मीयता और सत्कार संस्कृति को फिर एक बार उजागर कर दिया।
 

वाराणसी। काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से चल रहे ‘काशी तमिल संगमम 4.0 में दक्षिण भारत से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों का आगमन लगातार जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को तमिलनाडु से लेखकों का तीसरा दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचा। स्टेशन पर उतरते ही उनका स्वागत जिस भव्यता से किया गया, उसने काशी की आत्मीयता और सत्कार संस्कृति को फिर एक बार उजागर कर दिया।

पारंपरिक डमरू वादन की गूंज, पुष्पवर्षा और ‘हर-हर महादेव’ तथा ‘वणक्कम काशी’ के उद्घोष के बीच आगंतुकों ने काशी की धरती पर कदम रखा। स्वागत समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर तथा अनेक प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए काशी और तमिल संस्कृति के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक और शैक्षिक संबंधों की जानकारी साझा की।

तमिल दल के सदस्यों में इस उत्साही और भव्य स्वागत को लेकर विशेष उत्साह नजर आया। कई प्रतिनिधियों ने कहा कि काशी का माहौल, यहां की गर्मजोशी और आध्यात्मिक अनुगूँज उनके लिए जीवनभर की स्मृति बन जाएगी। डमरू वादन की ध्वनि से स्टेशन परिसर शिवमय हो उठा और दोनों संस्कृतियों के संगम की सजीव अनुभूति उपस्थित लोगों को मिली।

कार्यक्रम के निर्धारित शेड्यूल के अनुसार, तमिलनाडु से आया यह लेखकों का दल शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन–पूजन करेगा। इसके अलावा अतिथियों के लिए गंगा घाटों का भ्रमण, गंगा आरती का साक्षात्कार, और शहर के प्रमुख सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं शैक्षिक स्थलों का दौरा भी तय है। आयोजन समिति ने बताया कि काशी की गंगा-जमुनी और वैदिक सांस्कृतिक विरासत को करीब से अनुभव कराने के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए गए हैं।

‘काशी तमिल संगमम’ का मुख्य उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के प्राचीन संबंधों को न सिर्फ पुनर्जीवित करना है, बल्कि शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, अध्यात्म, उद्योग और कला जैसे क्षेत्रों में सहयोग का नया अध्याय आरंभ करना भी है। इस वर्ष का संस्करण विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधियों के लिए संवाद, आदान–प्रदान और सहयोग का एक सशक्त मंच बन रहा है।