काशी तमिल संगम 3.0: बीएचयू में नई शिक्षा नीति, संगम साहित्य और विकसित भारत पर हुआ विचार-विमर्श, 200 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने देखा भारत कला भवन
कार्यक्रम के दौरान 200 से अधिक सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत कला भवन का भ्रमण किया, जहां उन्होंने पेंटिंग गैलरी, मूर्तिकला गैलरी और मालवीय गैलरी का अवलोकन किया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने आईआईटी-बीएचयू परिसर का दौरा किया, जहां उन्होंने अनुसंधान, नवाचार, खेल संरचनाओं और अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं को देखा।
प्रतिनिधिमंडल में तंजावुर विश्वविद्यालय, पांडिचेरी विश्वविद्यालय और भारती दास कॉलेज के छात्र शामिल थे। बीएचयू के उपनिदेशक डॉ. निशांत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, जबकि प्रो. अनुपम कुमार नेमा, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. डी. बी. सिंह और दीपक भारतन ने उन्हें कार्यक्रम का मार्गदर्शन दिया।
शैक्षणिक सत्र में विशेषज्ञों ने रखे विचार
पंडित ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में आयोजित विशेष शैक्षणिक सत्र में कई विशेषज्ञों और वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। आईआईटी-बीएचयू के प्रो. आर. के. मिश्रा ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 मातृभाषा में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देती है और इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। प्रो. आनंदवर्धन शर्मा ने काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने महान कवि सुब्रमण्य भारती, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सहित तमिलनाडु की कई महान हस्तियों के योगदान पर प्रकाश डाला।
डॉ. एस. अरुल ने विकसित भारत 2047 की परिकल्पना, आर्थिक विकास और सुशासन (गुड गवर्नेंस) में युवाओं की भूमिका को विस्तार से समझाया। वाराणसी की शिक्षिका डॉ. रचना शर्मा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में किए जा रहे सुधारों की जानकारी दी, जिसमें 73 नए कॉलेज, 3 नए विश्वविद्यालयों की स्थापना और उच्च शिक्षण प्रोत्साहन निधि जैसी योजनाएं शामिल हैं। बीएचयू की छात्रा समाख्या पांडा ने काशी और तमिलनाडु के गहरे ऐतिहासिक संबंधों पर अपने विचार साझा किए। डॉ. नागेंद्र सिंह ने ऋषि अगस्त्य के जीवन और काशी तमिल संगमम की इस वर्ष की थीम पर प्रकाश डाला।
प्रतिनिधियों ने बताए अपने अनुभव
तमिलनाडु से आए प्रतिभागियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अरुण वेंकट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि काशी तमिल संगमम 3.0 ने उन्हें वह अनुभव कराया है, जिसे वे केवल सुनते आए थे। शिक्षिका भाग्यलक्ष्मी ने कहा कि वे इस कार्यक्रम में मिली सीख और अनुभवों को अपने विद्यार्थियों के साथ साझा करेंगी। उन्होंने इसे "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की परिकल्पना को साकार करने वाला कार्यक्रम बताया।