लकवा के मरीजों के लिए ISA ने शुरू किया ‘Mission Brain Attack’ गांव-गांव जाकर लोगों को करेंगे जागरूक, फिजिशियन को देंगे ट्रेनिंग 

 
-    इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन ने वाराणसी से शुरू किया मिशन ब्रेन अटैक 

-    "ईच वन-टीच वन" के तहत फिजिशियन और मरीजों और उनके तीमारदारों को किया जागरूक

-    लकवा लगने के साढ़े चार घंटे के भीतर पहुंचे अस्पताल तो 85 फीसदी तक मरीजों को नहीं पहुंचती क्षति

वाराणसी। इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (आईएसए) ने मिशन ब्रेन अटैक (Mission Brain Attack) की वाराणसी से शुरुआत की है। जिसे पूरे देश में फैलाया जायेगा। जिसके तहत एसोसिएशन ने नदेसर स्थित एक होटल में "ईच वन-टीच वन" प्रोग्राम का सोमवार को आयोजन किया। जिसके तहत स्ट्रोक से ठीक हुए मरीज या उनके परिजनों के साथ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ० निर्मल सूर्या, सचिव डॉ० अरविंद शर्मा, बीएचयू के डॉ० विजयनाथ मिश्र, डॉ० अभिषेक पाठक, डॉ० अविनाश चंद्र सिंह ने वार्ता कर लोगों को जागरूक करने की बात कही। डॉ० निर्मल सूर्या ने कहा कि  "यदि एक व्यक्ति किसी एक व्यक्ति" को जागरूक करना शुरु कर दे तो काफी हद तक सहायता मिल सकती है। देश में मात्र 3500 न्यूरोलॉजिस्ट है, ऐसे में जनता को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है।

फिजिशियन को दे रहे है ट्रेनिंग

डॉ० निर्मल सूर्या ने कहा कि हम फिजिशन को भी ट्रेनिंग दे रहे है। साथ ही स्ट्रोक में इलाज के प्रोटोकॉल को बता रहे है। उन्होंने कहा कि यदि लकवा का मरीज अटैक होने के साढ़े चार घंटे के भीतर ऐसे सेंटर पर पहुंच जाता है, जहां सीटी स्कैन की सुविधा है और स्कैन से हम दिमाग के प्रभावित क्षेत्र का पता करके खून पतला करने के इंजेक्शन दे देते है तो 85 फीसदी तक हम मरीज को प्रभावित होने से बचा लेते है। यदि मरीज दूर- दराज गावों में है या सोते समय ही लकवा मार दिया जिसको पता ही नहीं चला और 24 घंटे के भीतर आता है तो "रिहैबिलिटेशन" से उसके प्रभावित अंग को सुधार किया जाता है। कहा कि भारत में विश्व के अपेक्षा 10 साल पहले लकवा आता है। यही कारण है कि अब युवाओं को भी लकवा लगने लगा है।

लकवा में सतर्क रहने की जरूरत

डॉ० निर्मल सूर्या ने कहा कि स्ट्रोक के पीछे तीन मुख्य वजह है। ब्लड प्रेशर, शुगर और केलोस्ट्राल। यदि आपके बुजुर्गों को स्ट्रोक आए हुए है और आपको भी ब्लड प्रेशर, शुगर और केलोस्ट्राल है तो सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए आपको वजन कम रखने है, केलोस्ट्राल पर कंट्रोल रखना है और अल्कोहल और तंबाकू छोड़ने होंगे। उन्होंने कहा कि इस समय 1 मिनट में 3 मरीज को लकवा लग रहा है। इस समय लकवा मौत की तीसरी बड़ी वजह है।

 

इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के सचिव डॉ० अरविंद शर्मा ने कहा कि "मिशन ब्रेन अटैक" के तहत वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन के साथ भी कोलैबोरेशन करने करेंगे। हमारा मकसद है कि जल्द से जल्द मरीज अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आयुष्मान योजना के तहत खून पतला करने वाली दवाई फ्री मिलती है, लेकिन 1 प्रतिशत लोग ही इसका लाभ उठा पा रहे है। क्योंकि जागरूकता की कमी है। उन्होंने कहा कि हमने पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्रालय से मिलकर अवेयरनेस और ज्यादा बढ़ाने का अनुरोध किया था। 

उन्होंने कहा कि शहर की अपेक्षा गांव के लकवा के मरीज का इलाज इसलिए जटिल है कि पहले वह पहचान नहीं पाते और जब पहचानते हैं, तो अस्पताल पहुंचने में लेट हो जाता है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में जहां- जहां कोविड के समय सीटी स्कैन मशीन लग गई है वहां के फिजिशियन को हम ट्रेनिंग देंगे।