वाराणसी में 3.92 लाख नौनिहालों को कुपोषण से बचाने की पहल, 26 दिसंबर से 24 जनवरी तक चलेगा अभियान

वाराणसी। जनपद में बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विटामिन ए सम्पूरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। बाल स्वास्थ्य पोषण माह के अंतर्गत इस अभियान की शुरुआत शुक्रवार को शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दुर्गाकुण्ड पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाकर की। यह विशेष अभियान 26 दिसंबर से 24 जनवरी तक संचालित किया जाएगा।
 

वाराणसी। जनपद में बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विटामिन ए सम्पूरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। बाल स्वास्थ्य पोषण माह के अंतर्गत इस अभियान की शुरुआत शुक्रवार को शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दुर्गाकुण्ड पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाकर की। यह विशेष अभियान 26 दिसंबर से 24 जनवरी तक संचालित किया जाएगा।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चलेगा अभियान
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अभियान के दौरान ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी एवं यूएचएसएनडी) सत्रों के माध्यम से 9 माह से 5 वर्ष तक के कुल 3.92 लाख बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी। इसके साथ ही इन सत्रों में पूर्ण एवं सम्पूर्ण टीकाकरण, बच्चों का वजन लेना, अति कुपोषित बच्चों की पहचान तथा पोषण संबंधी जागरूकता पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

स्तनपान, आयरन सीरप और आयोडीन युक्त नमक पर जोर
सीएमओ ने बताया कि अभियान के दौरान एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू कराने और छह माह तक केवल स्तनपान के महत्व के प्रति जन-जागरूकता फैलाई जाएगी। इसके साथ ही सात माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को आयरन सीरप भी पिलाया जाएगा। महिलाओं को आयोडीन युक्त नमक के नियमित उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे बच्चों को आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों से सुरक्षित रखा जा सके।

विटामिन ए की खुराक का निर्धारण
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एस.एस. कनौजिया ने बताया कि विटामिन ए की पहली खुराक 9 से 12 माह के बच्चों को एमआर प्रथम टीके के साथ दी जाती है। दूसरी खुराक 16 से 24 माह के बीच एमआर द्वितीय टीके के साथ तथा तीसरी से नौवीं खुराक छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए सम्पूरण अभियान के अंतर्गत पिलाई जाती है।

उन्होंने बताया कि 9 माह से 1 वर्ष तक के बच्चों को आधा चम्मच (1 एमएल) और 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरा चम्मच (2 एमएल) विटामिन ए की खुराक दी जाएगी। जिन बच्चों की कोई खुराक छूट गई हो, उन्हें अवश्य पिलाने की अपील की गई है।

बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक
डॉ. कनौजिया ने बताया कि विटामिन ए की कमी से बच्चों में नजर कमजोर होना, रात्रि में कम दिखाई देना, आंखों व त्वचा की समस्याएं, निमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। विटामिन ए बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ हड्डियों और झिल्ली (म्यूकोसा) के विकास में भी सहायक होता है।

माह भर चलने वाले इस अभियान के दौरान नए कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें पोषण सेवाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि भविष्य की पीढ़ी को स्वस्थ और सशक्त बनाया जा सके।