वाराणसी में उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय बोले – गुरुकुल में शस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दी जाती है, भगवा हमारी संस्कृति का प्रतीक
उन्होंने नालन्दा एवं तक्षशिला विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हुये कहा कि ये हमारे गौरवशाली अतीत है। हमारे प्राचीन गुरुकुलों में शास्त्र और शस्त्र दोनों की शिक्षा दी जाती है। शस्त्र के बल से शास्त्रों पर प्रहार हुआ। जिससे संस्कृत व भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान हुआ, लेकिन इसी संस्कृत भाषा के माध्यम से हमारी भारतीय संस्कृति पुनः जिवन्त हुई। लार्ड मैकाले ने भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया। हमारी संस्कृत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की है। भगवा हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने भारतीय राजनिति पर चर्चा करते हुये कहा कि राजनिति भी दो भागों में बटी हुई है। एक तरफ सबका साथ सबका विकास दुसरी तरफ जातिवादी एवं परिवारवादी व्यवस्था वाली है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने अपने सुशासन के बल पर भारत का हृदयस्थल उत्तर प्रदेश को एक नयी दिशा दी है। वह भगवाधारी हैं और उन्होंने संस्कृत और संस्कृति को शिखर पर ले जाने का बीड़ा उठाया है।
उक्त समारोह की अध्यक्षता एवं आगंतुक अतिथियों का स्वागत/अभिनंदन करते हुये विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० बिहारीलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 17 संस्कृत विश्वविद्यालय में सबसे पुराना सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय है जो कि लगभग 235 वर्ष से भी पुराना है। मुख्यमंत्री ने अपने सुशासन के बल पर भारत का हृदयस्थल उत्तर प्रदेश को एक नयी दिशा दी है। उच्च शिक्षा मंत्री भी लगातार उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने में लगे हुये हैं।
काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी और अध्यात्मिक रूप में पूरे विश्व में प्रचलित है। संस्कृत देववाणी के रूप में जानी जाती है। इस देववाणी के संरक्षण एवं भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिये आज उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जो ऐतिहासिक निर्णय लिया गया मैं सरकार को साधुवाद देते हुये उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। इस सरकार ने जो हमारी पारम्परिक विधाओं के संरक्षण के लिये जो संकल्प किया था उसकों पूर्ण करके अपने संकल्प को सिद्ध किया है। एक तरफ जहाँ पूरी दुनिया बुढ़ी हो रही है वही अपना भारत देश दिन प्रति दिन जवान होता जा रहा है। उन्होंने जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है का जिक करके छात्रों का उत्साह वर्धन किया।
मुख्यमंत्री ने 12 विद्यार्थियों को चेक देकर योजना का किया शुभारंभ
समारोह की शुरूआत मुख्यमंत्री द्वारा 12 छात्र-छात्राओं सुहानी कुमारी, तनुज शुक्ला, रंजना कुमारी, कृष्ण द्विवेदी, आर्यन द्विवेदी, अभिनव मिश्रा, स्मिता पाठक, बबलू पाठक, योगेश कुमार दूवे, प्रिन्स पाण्डेय, हंस कुमार विस्वा और गोपी को प्रतिकात्मक चेक प्रदान कर छात्रवृत्ति योजना का शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम में सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय के 36, वाराणसी से 4203 तथा प्रदेश से 69195 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई। इसके साथ ही संस्कृत के अभ्युत्थान के लिए अध्ययनरत सम्पूर्ण प्रदेश के 69,195 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति बैंक के माध्यम से प्रदान की गयी।
संस्कृत स्कॉलरशिप की रचनाकारिता निम्नवत हैं:-
कक्षा प्रथमा (6-8)- क्रमशः (कक्षा 6-7)-रु. 50/- (कक्षा 8)-रु. 75/- प्रतिमाह एवं वार्षिक 600/-900/-रुपये
पूर्व मध्यमा (9-10)- रुपये 100/- प्रतिमाह तथा वार्षिक 1200/- रुपये।
उत्तर मध्यमा (11-12)- रुपये 150/- प्रतिमाह तथा 1800/- वार्षिक।
शास्त्री कक्षा (स्नातक) रुपये 200/- प्रतिमाह तथा 2400/-वार्षिक।
आचार्य (परास्नातक)- रुपये 250/- प्रतिमाह तथा 3000/-वार्षिक छात्रवृत्ति देने के संकल्प को पूर्ण करेंगे।
वैदिक मंत्रों, स्वस्तिवाचन से ऊर्जा युक्त बना परिसर
कार्यक्रम के प्रारम्भ में विश्वविद्यालय के परंपरानुसार वेद के वेद आचार्य एवं विद्यार्थियों के द्वारा मंगलाचरण (वैदिक, पौराणिक) किया गया। वैदिक मंत्रों, स्वस्तिवाचन से मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आगमन के साथ स्वागत और अभिनंदन के साथ संस्था के परम्परानुसार वैदिक विद्यार्थियों के द्वारा पारम्परिक वस्त्रों में स्वस्तिवाचन, वैदिक मंत्रों के साथ शंखनाद कर सम्पूर्ण परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा और वैदिक शक्तियों से आच्छादित हो गया।
समारोह में इनकी रही उपस्थिति
उक्त समारोह में मुख्य रूप से काशी विश्वनाथ न्यास परिषद् के अध्यक्ष प्रो० नागेन्द्रनाथ पाण्डेय, पद्मश्री प्रो० वशिष्ठ त्रिपाठी, मंत्री रविन्द्र जायसवाल, दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ विधायक डॉ० नीलकंठ तिवारी, सौरभ श्रीवास्तव, सुनील पटेल, त्रिभुवन राम, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या, विधान परिषद सदस्य हंसराज़ विश्वकर्मा, अम्बरीश भोला, महंत शंकरपुरी संतोष दास, बालकदास, धर्मसंघ के अध्यक्ष पंडित जगजीतन पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव (गृह, वित्त एवं माध्यमिक) दीपक कुमार, विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार, डॉ० कमलेश झा। शिक्षा विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के आचार्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र छात्रायें सहित विद्यालयों के प्रधानाचार्य उपस्थित थे।