IIT BHU के वैज्ञानिकों ने विकसित किया उन्नत सेंसर, भोजन में एंटीबायोटिक की पहचान होगी आसान

आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ताओं ने एक अत्याधुनिक दोहरे मोड (ड्यूल-मोड) सेंसर का विकास किया है, जो भोजन में एंटीबायोटिक एनरोफ्लॉक्सासिन की तेजी और सटीकता से पहचान कर सकता है। यह खोज स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
 

वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ताओं ने एक अत्याधुनिक दोहरे मोड (ड्यूल-मोड) सेंसर का विकास किया है, जो भोजन में एंटीबायोटिक एनरोफ्लॉक्सासिन की तेजी और सटीकता से पहचान कर सकता है। यह खोज स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

यह सेंसर प्रोफेसर प्रांजल चंद्रा के नेतृत्व में स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग की टीम शोध छात्र सुप्रतिम महापात्र, अंकुर सिंह और रतुल पॉल द्वारा विकसित किया गया है। इस महत्वपूर्ण शोध को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल Small में प्रकाशित किया गया है, और इसका पेटेंट आवेदन (संख्या: 202511042353) भी दायर किया जा चुका है।

एनरोफ्लॉक्सासिन, एक आम एंटीबायोटिक है जिसका उपयोग पशुओं में संक्रमण रोकने और तेजी से विकास के लिए किया जाता है। इसके अत्यधिक प्रयोग से मानव शरीर में एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) की समस्या उत्पन्न हो रही है, जिससे संक्रमणों का उपचार कठिन हो गया है। इसके अवशेष यदि दूध या मांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाएँ, तो यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसे वैश्विक स्तर पर एक गंभीर समस्या बताया है।

डॉ. चंद्रा ने बताया कि पारंपरिक तकनीकों से एंटीबायोटिक की पहचान करना न केवल महंगा और समय-खपत वाला होता है, बल्कि यह जटिल भी होता है। वहीं, आईआईटी (बीएचयू) द्वारा विकसित यह नया सेंसर न केवल कम समय में परिणाम देता है बल्कि पोर्टेबल भी है—यानी इसे कहीं भी आसानी से ले जाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह केवल थोड़ी मात्रा (161 फेम्टोमोल) में मौजूद एंटीबायोटिक को भी पहचान सकता है।

इस सेंसर की कार्यप्रणाली मैग्नेटिक मॉलिक्यूलरली इम्प्रिंटेड पॉलिमर (MMIP) तकनीक और इलेक्ट्रोकेमिकल डिटेक्शन के संयोजन पर आधारित है, जिससे इसकी संवेदनशीलता और विश्वसनीयता काफी बढ़ जाती है। आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “यह नवाचार न केवल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे सरकारी अभियानों के अनुरूप है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने में भारत की भूमिका को भी मजबूती प्रदान करता है।”यह सेंसर भोजन की गुणवत्ता जांच, दवा परीक्षण, और पर्यावरण निगरानी जैसे अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी साबित हो सकता है।