ज्ञानवापी विवाद : एएसआई से सर्वे पर मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की आपत्ति, सुनवाई सात जुलाई को
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ परिसर में ज्ञानवापी स्थित पूरे विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने सम्बंधी आवेदन पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सोमवार को आपत्ति दाखिल की। इस मामले में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि सात जुलाई निर्धारित की है। इसके साथ ही ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े सात मुकदमों की एक साथ सुनवाई के लिए सात जुलाई की ही तिथि तय की है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे से संबंधित प्रार्थना पत्र नौ आवेदकों मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, रेखा पाठक, आदि महादेव धर्मालय मुक्ति न्यास परिषद के राम प्रसाद सिंह, शीतला मंदिर के महंत शिवनरायण पांडेय, रंजना अग्निहोत्री, शिशिर चतुर्वेदी और राकेश कुमार अग्रवाल की तरफ से मां श्रृंगार गौरी के मूल वाद के तहत दाखिल किया है।
प्रार्थना पत्र के जरिये ज्ञानवापी परिसर स्थित विवादित स्थल के सर्वेक्षण की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने का अनुरोध भी किया गया है। विष्णु शंकर के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशानुसार वजूखाने के पास मिले शिवलिंग की चार चरणों में जांच होने पर स्थिति स्पष्ट होगी। शिवलिंग के ऊपर कटे खांचे की जांच होगी, तब पता चलेगा कि उसे कब नुकसान पहुंचाया गया। जीपीआर तकनीक से जमीन के नीचे की भी वास्तविकता का पता चल सकेगा। साइंटिफिक सर्वे से विवादित स्थल पर मौजूद ढांचे की उम्र और प्रकृति का पता चल सकेगा।