स्नातक एमएलसी चुनाव : एमएलसी का ही नाम मतदाता सूची से गायब, सपाइयों में आक्रोश, मंडलायुक्त व डीएम को सौंपा ज्ञापन

स्नातक एमएलसी के मतदाता सूची से वर्तमान एमएलसी आशुतोष सिन्हा का नाम ही गायब हो गया है। परिवार के सदस्यों का भी नाम सूची में नहीं है। इससे सपाइयों में खासा आक्रोश है। सपा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को मंडलायुक्त एस राजलिंगम और जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार को ज्ञापन सौंपकर मामले से अवगत कराया। पूरे मामले की जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की। चेताया कि यदि जल्द से जल्द इसे ठीक नहीं किया गया तो अधिकारियों को घेरने का काम करेंगे। वहीं जरूरत पड़ी को अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे। 
 

वाराणसी। स्नातक एमएलसी के मतदाता सूची से वर्तमान एमएलसी आशुतोष सिन्हा का नाम ही गायब हो गया है। परिवार के सदस्यों का भी नाम सूची में नहीं है। इससे सपाइयों में खासा आक्रोश है। सपा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को मंडलायुक्त एस राजलिंगम और जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार को ज्ञापन सौंपकर मामले से अवगत कराया। पूरे मामले की जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की। चेताया कि यदि जल्द से जल्द इसे ठीक नहीं किया गया तो अधिकारियों को घेरने का काम करेंगे। वहीं जरूरत पड़ी को अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे। 


एमएलसी ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार क्वींस कॉलेज वाराणसी स्थित बूथ पर समय से आवेदन किया था, परंतु सभी दस्तावेज पूरा करने के बावजूद उनके नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किए गए। वे सपा से इस बार भी चुनाव में प्रत्याशी हैं। यह मामला केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि मंडल के अन्य जनपदों में भी हजारों आवेदकों ने इसी प्रकार की शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि मतदाता सूची निर्माण में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी और अव्यवस्था हुई है।

ज्ञापन में चार प्रमुख मांगें रखी गई हैं। इनमें आठों जिलों के सभी मतदाता संग्राहक केंद्रों की प्रक्रिया की व्यापक, पारदर्शी और त्वरित जांच कराने, पात्र आवेदकों के नाम, जिनमें शिकायतकर्ता एवं उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं, तत्काल प्रभाव से मतदाता सूची में जोड़ने, उन अधिकारियों व कर्मचारियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने, पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट शासन और निर्वाचन आयोग को भेजने तथा कार्रवाई की प्रमाणित प्रति सात दिनों के भीतर उपलब्ध कराने की मांग की। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो उच्च न्यायालय, लोकायुक्त और निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होंगे।