Ganga Mahotsav: गंगा महोत्सव की अंतिम शाम में हेमंत बृजवासी के सुरों पर झूमे दर्शक, शास्त्रीय और लोक संगीत का दिखा अनोखा संगम

 

वाराणसी। काशी के अस्सी घाट पर काशी गंगा महोत्सव की तीसरी और अंतिम शाम में गुरुवार को सारेगामा फेम हेमंत बृजवासी ने बनारसी दर्शकों को बनारसी अंदाज में झुमाया। काशी विश्वनाथ को प्रणाम करते हुए हेमंत ने भजन और फिल्मी गीतों की झड़ी लगाई कि दर्शक झूमे बिना नहीं रह सके। दर्शक दीर्घाओं से ज्यादा भीड़ घाट की सीढ़ियों पर नजर आई। महोत्सव में दर्शकों-श्रोताओं ने शास्त्रीय संगीत के साथ लोकप्रचलित संगीत का भी आनंद उठाया। उद्घाटन राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ने किया।

पहली प्रस्तुति तीन पीढ़ियों ने की। पद्मश्री पं. शिवनाथ मिश्र, उनके बेटे पं. देवब्रत मिश्र और पौत्र कृष्णा मिश्र ने सितार से मोहिनी-सी डाल दी। पं. राग किरवानी में रूपक ताल की मध्यम लय और तीन ताल की द्रुत लय ने श्रोताओं को आनंद में डुबो दिया। इसके बाद राग मिश्रधनी में दादरा धुन सुनाते हुए बनारसी संगीत घराने की विशिष्टता को उजागर किया, इसपर खूब तालियां बजीं। तबले पर प्रशांत मिश्र ने सधी हुई संगत की।

दूसरी प्रस्तुति धारवाड़ कर्नाटक की सुजाता गुरव की रही। तीसरी प्रस्तुति में त्रिबंदी लेकर आए पं. नरेंद्रनाथ मिश्र, का दर्शकों ने खूब आनंद लिया। इसके बाद सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के प्रतिभागियों की प्रमुख प्रस्तुतियां रहीं। 

मथुरा के गायक हेमंत बृजवासी ने बताया कि 10 साल की उम्र में वह काशी आए थे। यहां गंगाजल के आचमन भर से कंठ सुरीला हो जाता है। इस नगरी के लोगों पर बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद है। यहां के लोगों को गीत सुनाकर खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं। बृजवासी ने कहा कि काशी जब भी बुलाएगी, सारे काम छोड़कर यहां आऊंगा।

चौथी प्रस्तुति सौरव-गौरव मिश्रा का कथक रहा। गायन शक्ति मिश्र और बोल पढ़त पर पं. रविशंकर मिश्र रहे। इनके बाद मंच पर पिता हुकुम बृजवासी के साथ आए हेमंत बृजवासी ने जल्द युवा दर्शकों का मन पहचान लिया। बाबा विश्वनाथ की स्तुति के बाद 'जय जयकारा', 'रघुकुल रीति सदा चली आई', 'श्रीराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में' से चला कारवां 'तू ही रे' तक पहुंच गया। दर्शकों ने कलाकार को खूब सराहा और तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया। अगली प्रस्तुतियों में अदिति शर्मा कथक, रश्मि मेनन भरतनाट्यम, अमलेश शुक्ल गायन, आस्था शुक्ल और राधा प्रजापति धीमर नृत्य की रही।