राजघाट व राजेंद्र प्रसाद घाट पर गंगा महोत्सव का आगाज, शहनाई और सितार की धुन पर श्रोता मंत्रमुग्ध
वाराणसी। उत्तरवाहिनी मां जाह्नवी के तट पर राजघाट एवं डा. राजेंद्र प्रसाद घाट पर शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध गंगा महोत्सव का भव्य आगाज हुआ। उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर गंगा महोत्सव का शुभारंभ किया। इससे पूर्व राज्य मंत्री ने विधिवत गंगा पूजन किया। वहीं डा. राजेन्द्र प्रसाद घाट पर भी गंगा महोत्सव का शुभारंभ हुआ।
इस दौरान राज्य मंत्री ने कहा कि संगीत काशीवासियों के डीएनए में है। यह उनके मन-मस्तिष्क में बसता है। मोक्षदायिनी काशी में मृत्यु भी त्योहार है। संगीत के चारो विद्या को काशी ने दिया है। लोगों ने गंगा के तट पर साधना करके दुनिया में नाम रोशन किया। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट को बढ़ा कर गंगा महोत्सव के कार्यक्रम को और भव्यता प्रदान किया है। उन्होने संगीत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका मानना है कि आतंकवादियो के मध्य यदि संगीत संचालन किया जाय, तो उनका भटका हुआ मन मुख्य धारा में वापस आ सकता है।
राजघाट पर गंगा महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक सुर गंगा की शुरुआत महेंद्र प्रसन्ना के शहनाई वादन से हुआ। इसी श्रृंखला में समित त्यागी ने सुगम संगीत, डॉ आशीष कुमार ने ध्रुपद गायन, पंडित तारकनाथ मिश्रा ने सितार वादन, पर्णिका श्रीवास्तव ने लोक नृत्य, डॉ शिवांग बाल्हकेश्वर तथा सुजीत कुमार तिवारी ने भजन गायन से लोगों का मन मोहा। इन कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुति ने गंगा महोत्सव में आए लोगों को पूरे कार्यक्रम के दौरान सुर सरिता में गोता लगाने पर बाध्य किया। काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के विजेता प्रतिभागियों ने डॉ राजेंद्र प्रसाद घाट पर आयोजित गंगा महोत्सव के सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियों दी।
गंगा महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को डा. अर्चना आदित्य महास्कर द्वारा शास्त्री गायन, आशुतोष श्रीवास्तव द्वारा भजन गायन, दीपक सिंह का लोक गायन, पंडित अंशुमन महाराज का सरोद वादन, दिव्या व राहुल द्वारा ओड़िसी एवं भरतनाट्यम नृत्य, पदमश्री मालिनी अवस्थी का लोक गायन के साथ ही पदमश्री पदमजा रेड्डी का कुच्चीपुड़ी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति होगी।