काशी विद्यापीठ के पूर्व वीसी व पूर्व कुलसचिव पर मुकदमा, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति डॉ. पृथ्वीश नाग और पूर्व कुलसचिव डॉ. ओम प्रकाश के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान के वाराणसी सेक्टर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इंस्पेक्टर देवेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर कार्रवाई की गई है। मामला काशी विद्यापीठ में सहायक आचार्य उर्दू संवर्ग के अनारक्षित पदों की चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार से संबंधित है।
इंस्पेक्टर देवेंद्र के अनुसार, काशी विद्यापीठ में विभिन्न विषयों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर चयन की कार्रवाई 12 अगस्त 2017 से 28 अक्तूबर 2017 के बीच हुई थी। चयन समिति की संस्तुतियों को काशी विद्यापीठ की कार्यपरिषद के सम्मुख 15 अक्तूबर 2018 को प्रस्तुत किया गया था। इस चयन प्रक्रिया में ही उर्दू विषय के तीन असिस्टेंट प्रोफेसर के अनारक्षित पदों पर भी चयन प्रक्रिया हुई थी।
काशी विद्यापीठ के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ ने तत्कालीन कुलपति डॉ. पृथ्वीश नाग के समक्ष ये प्रस्तुत किया कि एपीआई को आधार मानकर ही असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के विज्ञापन में साक्षात्कार के लिए अभ्यर्थियों को बुलाया जाएगा। एक पद के सापेक्ष अधिकतम 15 और न्यूनतम तीन अभ्यर्थियों को कॉल लेटर भेजा जाएगा। इस प्रस्ताव को डॉ. नाग ने अनुमोदित किया था। विज्ञापन के साथ पदों की अर्हता और सामान्य निर्देश भी उन्होंने ही अनुमोदित किए थे।
उर्दू विषय के तीन असिस्टेंट प्रोफेसर के अनारक्षित पदों के लिए 113 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। उनके एपीआई स्कोर की गणना करते हुए घटते क्रम में एक सूची तैयार की गई। तीन पदों के लिए 50 एपीआई स्कोर तक के आवेदकों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।
एपीआई स्कोर की गणना में हुई कमियों की जानकारी प्राप्त होने पर 13 आवेदकों के स्कोर की दोबारा गणना कराई गई। इसमें दो आवेदकों के एपीआई स्कोर परिवर्तित हो गए। डॉ. मो. निजामुद्दीन जिन्हें प्रथम गणना में 92.3 एपीआई स्कोर प्राप्त हुआ था, दोबार हुई गणना में उन्हें 47.8 एपीआई स्कोर प्राप्त हुए। जबकि, फिरदौस जहां जिनका एपीआई स्कोर 49 था, उन्हें दोबारा हुई गणना में 59.4 अंक प्राप्त हुए। इस तरह डॉ. मो. निजामुद्दीन का साक्षात्कार बुलावा पत्र अमान्य कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन, कुलसचिव डॉ. ओम प्रकाश ने उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया।