पूर्व मेयर रामगोपाल मोहले बोले - 'दादा' के निधन से काशी के एक युग का अंत हुआ... हार गए जिंदगी की जंग

 
वाराणसी। काशी के सादगी, सहिष्णुता और समभाव के प्रतीक, पूर्व मंत्री और सात बार के विधायक श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' का निधन शहर के लिए एक राजनीतिक युग के अंत का प्रतीक है। उनकी सादगी और जनसरोकारों से भरा राजनीतिक जीवन अब इतिहास का हिस्सा बन गया है।

दादा जैसा दूसरा कोई नहीं

पूर्व महापौर रामगोपाल मोहले ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "दादा ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी, लेकिन मौत के सामने उन्हें झुकना पड़ा।" उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्षों और ईमानदारी का एक ऐसा उदाहरण है, जो आज दुर्लभ है। मोहले ने कहा कि दादा से जुड़े अनगिनत पल आज स्मृतियों में जीवंत हो गए हैं।

महापौर कार्यकाल के अनुभव साझा किए

रामगोपाल मोहले ने 2012 के अपने महापौर कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच दादा का समर्थन और मार्गदर्शन हमेशा प्रेरणा स्रोत रहा। उन्होंने बताया, "जब मैंने काशी के विधायकों की नगर निगम में बैठक बुलाई, तो दादा ने न केवल मुझे प्रोत्साहित किया, बल्कि जल, बिजली, सड़क, सफाई और सीवर समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए व्यावहारिक सुझाव भी दिए।"

दादा की प्रेरणा हमेशा जीवित रहेगी

मोहले ने कहा कि जनहित के मुद्दों पर दादा की ऊर्जा और संकल्प हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। उनकी सरलता और सहजता ने उन्हें न केवल एक राजनेता, बल्कि जनता का सच्चा प्रतिनिधि बना दिया।

श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' का निधन काशी के राजनीतिक और सामाजिक जीवन के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विरासत हमेशा काशीवासियों को प्रेरित करती रहेगी।