महाशिवरात्रि पर फूल-मालाओं के दाम ने छुआ आसमान: 15-20 रुपए में बिका माला, 200 प्रति किलो बिके बिल्व पत्र

 
वाराणसी। महाशिवरात्रि का पर्व हो और बाबा भोलेनाथ को उनकी मनपसंद की चीजों को न चढ़ाया जाए, यह कैसे हो सकता है। जी हां, शुक्रवार को बाबा के भक्तों को उनकी पसंद के सामानों को खरीदने के लिए मुंहमांगी कीमत चुकानी पड़ी। बात चाहे मदार की माला की रही हो या फिर धतुरा-बिल्वपत्र आदि की। बाबा भोलेनाथ के भक्तों को फूल-माला विक्रेताओं ने ‘लूटा’ ही नहीं बल्कि उनके पॉकिट पर ‘डाका’ तक डाला। मदार की तीन-चार रुपये में बिकने वाली छोटी माला 15-20 रुपये में बेचा गया तो बिल्वपत्र, धतुरा समेत अन्य प्रकार की फूल-मालायें भी मुंहमांगी कीमत पर बेची। भक्ति में लीन भक्त लूटते गये।

बांसफाटक एवं मलदहिया फूल मंडी का नजारा बदला हुआ दिखा। महाशिवरात्रि पर बाबा को खुश करने के लिए में ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ी थी। किसान और व्यापारी भाव कम करने की बात तो दूर आवाज लगाकर ग्राहकों को बुला तक नहीं रहे थे। इतना ही नहीं शिवालयों-देवालयों के इर्द-गिर्द फूल-माला की दुकान लगाये विक्रताओं ने तो ग्राहकों को लूटने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी। 

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ग्राहकों की विवशता मुंहमांगी कीमत पर माला-फूल खरीदने की। मदार की फसल की कमी के चलते कोलकाता ने फूल बाजार को संभाला। गुरुवार की रात कोलकाता से मदार के माला की खेप स्थानीय मंडियों में पहुंची। हालांकि पिछले दिनों बारिश के कारण फूलों के कारोबार पर भी असर पड़ा है। आवक कम होने के कारण फूलों की कीमतों पर असर पड़ा।

फुटकर बाजार में मदार की छोटी माला जहां 20 रुपये और गेंदा फूल संग मदार की माला 15 रुपये पीस बिक गया। वहीं, बिल्वपत्र 150 से 200 रुपये किलो। धतुरा जहां 100-120 रुपये किलो तो प्रति पीस पांच से 10 रुपये। गेंदा की छोटी माला 10-15 रुपये और नीलकंठ की माला 20 रुपये प्रति पीस। अड़ऊल की माला भी 15-20 रुपये प्रति पीस बिका। जबकि दूब 10-15 रुपये गांठ। इतना ही नहीं, पानी मिला दूध भी देवालयों के इर्द-गिर्द जमकर बिकता रहा। भक्त भी एक दिन लूटने को तैयार थे, क्योंकि उनके अंदर अपने बाबा के प्रति श्रद्धा और भक्ति जो थी। इसलिए वे मुंहमांगे दाम पर पूजन-सामग्रियां खरीदने पर विवश हुए।