कांग्रेस में भीतर की गुटबाजी हुई खत्म: राजेश मिश्रा के भाजपा जॉइन करने पर महानगर कांग्रेस की प्रतिक्रिया, कहा – राजेश ने दल नहीं दिल बदला है

 

वाराणसी। कांग्रेसी नेता व पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा के भाजपा में शामिल होने पर कांग्रेसजनों की प्रतिक्रया सामने आयी है। एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव उर्फ अन्नु ने कहा कि उन्होंने दल नहीं दिल बदला है और यह कांग्रेस व कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ धोखा है। 

अनिल श्रीवास्तव अन्नु ने सवाल उठाया कि कांग्रेस ने क्या नहीं दिया डॉ. राजेश मिश्रा को? वह चुनाव पर चुनाव हारते रहे, चाहे लोकसभा हो या विधानसभा का पर उन्होंने जहां से चाहा उनको टिकट मिलता रहा। यहां तक की उनकी अनुशंसा पर विधानसभा व नगर निगम में मेयर और पार्षद तक के टिकट मिलते रहे, वह भी योग्य लोगों का हक मारकर और एक बार केवल इसलिए उनको टिकट नहीं मिला, क्योंकि जहां से वह टिकट मांग रहे थे, वह सीट सपा से गठबंधन में नहीं आई तो दल ही बदल दिया। 

डॉ. राजेश मिश्रा का दल बदलना यह साबित करता है कि उनका एकमात्र उद्देश्य चुनाव लड़ना ही रहा है और उनकी कोई विचारधारा नहीं है। ऐसे लोगों को चुनाव व्यापारी कहना व मानना ही उचित होगा। अन्नु ने भाजपाइयों पर तंज कसा कि अच्छी बात यह होगी कि अब भाजपा कार्यकर्ता डॉ. राजेश मिश्रा को आश्वासन गुरु नहीं कहेंगे।

पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा के भाजपा की सदस्यता लेने पर महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनके भाजपा में जाने से कांग्रेस पार्टी का कोई नुकसान नहीं हुआ बल्कि अब पार्टी के अंदर गुटबाजी खत्म हो गई। कांग्रेस पार्टी ने बहुत सम्मान राजेश मिश्रा को दिया और अब जब पार्टी के लिए संघर्ष का समय है तो वह पार्टी छोड़ दिये। कांग्रेस ने उन्हें एमएलसी बनाया। 1999 में लोकसभा का टिकट दिया चुनाव हारे। 

2004 में पुन: टिकट मिला चुनाव जीते। फिर अपने भाई बृजेश मिश्रा को कांग्रेस से एमएलसी का चुनाव लड़वाये और पराजित हुए। पुन: 2009 में लोकसभा का टिकट मिला पराजित हुए। 2017 में दक्षिणी विधानसभा का टिकट मिला चुनाव हारे। 2019 में सलेमपुर लोकसभा सीट से टिकट मिला, जहां वहह जमानत बचाने में नाकाम रहे। 2022 में पुन: कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और फिर पराजित हुए, जमानत तक नहीं बची।

पार्टी ने उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावी कमेटी का सदस्य बनाया। आजीवन एआईसीसी सदस्य बनते रहे। प्रदेश में महासचिव व उपाध्यक्ष रहे। अन्य कमेटियों के भी हिस्सा रहे। हर चुनाव में हस्तक्षेप पर संगठन से लेकर टिकट बंटवारे तक इनकी भूमिका अहम रही है। इसलिए काशीवासी इनका नाम आश्वासन गुरु रखे थे। भाजपा वाले इनसे अपनी रक्षा करे, क्योंकि यह संघर्ष के समय दामन छुड़ा लेंगे। कांग्रेस पार्टी मजबूती से लोकसभा चुनाव लड़ेगी। राजेश मिश्रा के जाने से पार्टी को कोई फर्क नही पड़ेगा।